Hindi best shayari -:"हमारी वेबसाइट पर आपको मिलेगा हिंदी की बेहतरीन शायरी का संग्रह, जिसमें हर जज्बात और अहसास को शब्दों के माध्यम से खूबसूरती से व्यक्त किया गया है। चाहे वो मोहब्बत की शायरी हो, दर्द भरे एहसास या फिर जिंदगी की सच्चाइयों को बयां करती शायरी, यहाँ हर प्रकार की बेहतरीन शायरी का संग्रह उपलब्ध है। हमारी हिंदी बेस्ट शायरी न केवल आपके दिल को छू लेगी, बल्कि आपको शब्दों के एक नए संसार में ले जाएगी, जहाँ भावनाएँ और विचार पूरी तरह से समाहित होते हैं।"
-) हम जैसा अगर आंखों में आंसु लाने लग जाएं ,
कोई और बात बनाने लग जाएं ,
तो समझना गहरे ज़ख्म आ गए हैं दिल पर ।।
-) वक्त संभलने का मौका भी नहीं देता,
जिसे चाहते रहे ताउम्र उसकी एक झलक भी नहीं देता ।।
-) मेरे अच्छे होने को जानते हैं बस दो लोग,
एक आईने में छुपा वो शख़्स,
दूजा मेरा यार सनम ।।
मैंने आईना देखना बंद कर दिया ,
दूजे ने मुझसे मिलना छोड़ दिया ।।
अब जो बचा वो केवल बुरा हूं मैं ।।
-) मेरी मोहब्बत को बस परिंदों ने जाना हैं ,
कैद को पार करना कैसे ये बस उन ने जाना हैं।।
वे भी कभी आजाद ना हो सके ,
मैंने खुद हमेशा क़ैद ही माना ।।
-) दायरे में रहकर इश्क़ करना इतना आसान नहीं ,
ना जाने कितनी बातों पर मन मारना पड़ता हैं।।
मिलने कि चाहता हो फिर भी अकेले घुटना होता हैं,
जमाने से ग़म छुपाना और मुस्कुराता चेहरा दिखाना पड़ता हैं।।
-) इश्क़ हद से ज्यादा जो हो जाएं तो सजा ही समझो,
या तो उस से बढ़ चलो या उसकी सुनते रहो ।।
वो जो कह दे कुछ ग़लत तो उसको भी सही समझो,
वो रात को दिन और दिन को रात तो वो ही समझो।।
-) लोगों से ज़रा गौर से पुछो किसने क्या गवायां हैं,
फिर हमसे पूछो हमनें क्या गवायां हैं ।।
चैन सुकून वो क्या होता हैं ,
ये सब तो हमनें बचपन में खोया हैं ।।
एक उम्र तो गुजार दी जागते जागते हमने ,
इन आंखों पर भी हमने बड़ा जुल्म ढाया हैं।।
ये चाहती थी बंद हो जाना मगर
हमने इनको हर पल खुला रखा हैं।।
अब मरीज से इलाज पूछते हैं वो
जिन्होंने हमें मरीज बनाया हैं।।
की इतनी खूबसूरत क्यों होती हैंये राते ,
मैंने टिमटिमाते तारों में उसको पाया हैं।।
सोचता हूं बंद आंखें क्या देखेगी ख्वाबों को ,
मैंने खुली आंखों से उसके ख्वाबों को सजाया हैं।।
-) तेरे ना आने का इंतजार एक उम्र तक करेंगे हम ,
फिर भी जो तुम ना आए तो बस खुद को तबाह करेंगे हम ।।
-) तुम अपने ही वादे की आंच रख लेते ,
हमारी बातें तो कल भी झूठी थी तुम्हारे लिए और आज भी ,
कम से कम कुछ पल के लिए ठहर जाते ,
हम सारी उम्र तुम्हें इश्क़ लिख जाते ।।
-) मेरी बातों का असर भी यूं था उसपे ,
उसकी बातों को छोड़ बस में झूठ था उसे ।।
-) दूर आसमानों में कहीं जा छुपा हैं वो ,
मेरी आंखों के आंसु का सबब बन गया है वो ।।
काली रात में रौशनी था अब मेरी ज़िंदगी में काली रात हैं वो ,
वो सब जानता था उसके बग़ैर क्या हूं में ,
मुझे मगर अकेला छोड़ गया हैं वो ।।
-) साधारण से लोग भी अब साजिशों का विचार करने लगे हैं,
जाने दिल पे कितनी गुजरी उनके अपने आप को भूल कर जमाने के रंग में मिलने लगे हैं।।
-) मुझे हराने वो आएं ,
जिसके आगे मैं अस्त्र ही ना उठा पाया ।।
होता क्या हार कबूल ना थी बग़ैर लड़े ,
मैं फ़िज़ूल में अपनी जान गंवा आया ।।
-) उसके आगे हर फ़ैसला मुझे क़बूल था ,
वो मौत लिखता मुझे फांसी का फ़ैसला मंज़ूर था ।।
जो मुकदमा फ़िर किसी और के हाथ गया ,
ये बाघी फ़िर बग़ावत पे आ गया ।।
कायदे क़ानून सबकी आँखों में धूल झोंक गया ,
फ़िर मैं हवा हो गया आंधी सा छा गया ,
मेघों की तेज़ गरजना सा गरज ही गया ।।
-) तू ख़ुशबू फूलों की ,
चमकती चांदनी सी ,
काली नागिन सी जुल्फ़े ,
लगती परी सी ।।
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-) हम वक़्त के जाने किस मोड़ पर आ बैठें हैं,
यहां से सब बिछड़ने के साथी हैं ।।
-) हम भी जाने कैसी मझधार मैं हैं,
आंधियों की साज़ में हैं,
या तूफानों के राज़ में हैं,
समंदर की गोद में हैं,
हम वक़्त के बदलें हाल में हैं ।।
-) ये भी ना पूछ हमसे क्या हो गया हमें,
वक़्त से बेगाना कोई अपना हो गया ।।
-) मुझसे ना पूछ मैं क्या कर आया हूं,
आफतों के दौर को अपने नाम कर आया हूं ।।
-) बदलते हालातों ने क्या कर दिया,
एक खुशमिजाज शख़्स को गुमशुदा कर दिया ।।
-) ये ना पूछ की वक़्त क्या हैं,
ख़राब हालों का समां हैं,
सबकुछ तबाही का मंजर हैं ।।
-) मोहब्बत का ज़िक्र कर रहा था वो ,
जो नफरतों के सिर राज़ करता हैं ।।
-) ये कैसे हुआ कि हमारे जैसा ख़राब हालों में खो गया ,
जिसे हर हाल से गुज़र जाना चाहिए था ।।
-) सुर कोई और ऐसा ना छेड़,
की सबकुछ ही ख़त्म करना पड़ जाएं ,
मिलन के मौसम में बिछड़ना पड़ जाएं ।।
-) कम दिमागों के दिमाग़ भी,
अब हमसे तेज़ होने लगें ,
वे जो जानते नहीं कुछ वे हमसे तेज़ होने लगें ।।
-) ख़्याल ये कर की मैं तेरे हवाले हूं,
औरों से दिल्लगी नहीं बस ज़माने से किनारे हूं ।।
-) बिछड़ते वक़्त वादें तमाम याद आएँ हमें ,
नम आंखों से पुराने सपने याद आएँ ,
कभी संजोए थे ख़्वाब कईं,
ढहती इमारतों की धराशाई तस्वीरें याद आएँ ।।
-) वो किसे भुलाना चाह रहा हैं,
मेरे जैसे किसी को या मुझको हीं,
मुझे भूल जाने में इल्म हैं ,
मेरी यादों के समंदर को पार पाने में इल्म हैं।।
-) यादों की बारात हैं कैसे इसे सजाते रहें,
वो एक भुलाई हुईं कहानी हैं कैसे उसे याद करके भुलाते रहें ।।
15-) हम भूल बैठें है ज़माने के ग़म,
खुदके ग़मो को जो देखने लगें,
ग़म ज़माने के बहुत थे मग़र,
हम अब जो ख़ुदग़र्ज़ होनें लगें ।।
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-) भूल रहें हैं दोनों एक दूसरे को ,
ये भीं कम हैं क्या यादों को संजोने में उम्रे गुज़ारी थी कभीं।।
-) वो हुस्न हैं रूठने का हुनर रखता हैं,
मैं इश्क़ हूं उसे मनाने का हुनर रखता हूं ।।
-) हम आ गएं हैं इश्क़ के जंजाल से मुक्त होकर,
अपने पंखों को फ़ैला कर सब कैदों से ख़ुदको आज़ाद करके ।।
-) ये भी कम नहीं हम रफ्ता रफ्ता भूलें हैं उन्हें,
जिन्होंने काम एक पल में भूल जाने का किया था ।।
-) मन मोहित हो गया जाने किसपर,
किसी गली अब दिल लगता नहीं,
एक नज़र का आशिक़ हो गया ,
अब किसी और से दिल लगता नहीं ।।
-) ख़राब हालों से समझौता करने लगें वो,
इश्क़ फिज़ाओं से बचने लगें वो,
औरों के दिल चुराते थें जो,
अब किसी और पर चोरी का इल्ज़ाम रखने लगें वो ।।
-) हमें मोहलत इतनी मिल जाती बस,
जी भर के निगाहों में समां लेते उनको,
जाने फ़िर कब नज़र मिलें,
इस बार जो मिली नजरें अपना भविष्य देख लेते उनमें ।।
-) हमसे ये तो ना पूछों बदनाम कहां हो,
इस शहर में मुझे मेरे नाम से कोई नहीं जानता,
ख़राब हालो का साथी हैं ये शहर ।।
-) किसने क्या कहा ये भी सोचना पड़ रहा हैं,
अपनी क़िस्मत को कोसना पड़ रहा हैं,
अपना कितना कुछ था कभीं तू भीं उसमें शामिल
था,
अब सबकुछ छोड़ना पड़ रहा हैं।।
-) लोग भावनाओं को आहत कर रहें हैं,
अपनी कहानी ना जाने कैसे पन्ने पर लिख रहें हैं, ये जो हो रहा हैं ये ना होना था,
ये जो ज़मीन के टुकों पर अपनी नस्लें बर्बाद कर रहें हैं ।।
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~~~आशुतोष दांगी~~~
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