Hindi best shayari-: "हिंदी बेस्ट शायरी" न केवल शब्दों का सुंदर संयोजन है, बल्कि यह हमारी भावनाओं, विचारों और संवेदनाओं का सशक्त माध्यम भी है। यह शायरी प्रेम, दर्द, प्रेरणा, और जीवन के विविध पहलुओं को गहराई से व्यक्त करती है, जिससे पाठक आत्ममंथन और भावनात्मक जुड़ाव का अनुभव करते हैं। यदि आप अपनी वेबसाइट पर "हिंदी बेस्ट शायरी" प्रस्तुत करना चाहते हैं, तो यह न केवल आपके पाठकों को भावनात्मक रूप से जोड़ने में मदद करेगा, बल्कि आपकी साइट को एक सांस्कृतिक और साहित्यिक दृष्टिकोण से भी समृद्ध करेगा।
-) हमसे ये ना पूछों वक़्त क्या हैं,
तुम्हारी यादों का एक सुहाना सफ़र हैं ।।
औरों को कमी हैं इसे पाने की ,
हमारी तो पूरी कहानी बस इसी पर हैं ।।
-) वक़्त ना मिलें ये भी बातें झूठी हैं,
उसके बग़ैर वक़्त कहाँ ही गुज़रता हैं ।।
उसकी यादों का सफ़र हैं,
जो उसके साथ ना होनें पर भी उसके साथ ही गुज़रता हैं ।।
-) मेरी दास्तां इतनी सी रहीं,
मिलें ही नहीं कभी मिलनें के बाद ।।
बिछड़ें लोग तो फिर सोचतें हैं मिलनें का,
हम मिलकर बिछड़ने वालें कैसे सोचें मिलने का ।।
-) वो कौन हैं बस उसी की याद दिल में रहती हैं,
वो अंजाना अजनबी उसकी बातें सबसे क़रीब रहती हैं।।
वो दूर का मुसाफ़िर था कभी मेरे लिएं,
अब वो मेरे दिल में अपना आशियाना बनाके रहता
हैं।।
-) वो फ़िक्रमंद हो जाएं ,
मेरे लिए इससे ज़्यादा और क्या चाहिएं।।
हम राह से भटके मुसाफ़िरों को ,
राहें मंज़िल मिल जाएं इससे ज़्यादा और क्या चाहिएं।।
-) तेरे बग़ैर रंग होली के रंग से तो ना लगेंगे ,
बड़ी आरजू थीं कि पहला रंग तुझे लगाएं ।।
तेरे गालों को रंग जाएं ,
तू खिलखिलाती रहें हम तेरे जीवन को रंगों से भर जाएं ।।
-) रंग गुलाल ये सबको इतने अच्छे क्यों लगते हैं,
उसके जाने के बाद इन रंगों से हमें नफ़रत सी होने लगी ।।
-) एक आस थीं जो कभी पूरी ना हो सकी ,
उसके गालों की लाली हमारी ना हो सकी ।।
आँखें ख़ूब जानती थी उसको ,
मग़र उसकी तस्वीर भी आंखों में क़ैद ना हो सकी ।।
-) दिल टूट जाएं इस बात का मलाल क्या करना ,
दुःख तो ये हैं कि जाने कैसे सनम को दिल दें बैठें।।
अपने कीमती वक़्त को किस नामुराद का कर बैठें ,
अपने ख़ूबसूरत सफ़र में रजों ग़म को ले बैठें ।।
-) मैं कुछ मांगू और वो मिल जाएं ,
ये भी आसमां के टूटते तारों से कम नहीं ।।
एक मुराद मांगी थीं हमने उसे अपना समझ के ,
वो भीं पूरी ना हुईं ,
उसके लिए नामुमकिन ना था उसे पूरा करना ,
बस बात ये थी उसके लिए हम ग़ैर के सिवा कुछ नहीं ।।
-) जो बातें पूरी ना हो सकें,
दिल जाने उनसे उन बातों की ज़िद क्यों करता हैं।।
उसे अच्छा नहीं लगता ख़ुद की शक्ल दिखाना,
मेरा दिल बग़ैर देखें उसे लगता नहीं ।।
-) मैं ना जाने कितनी मन्नतें कर ,
उसे मांग लाया हूं।।
मेरे रब ने मुझसे उसे मिलाने के बदलें,
सारी उम्र का चैन छीना हैं।।
-) अच्छा होता की दिल अकेला रहता ,
ना वो होता ना दिल उसकी यादों में रोता ।।
वो तो बस लापरवाह सा रहता हैं,
मैंने जो पूछ लिया कभी तो वो भीं ख़बर मेरी ले लेता हैं ,
जो मैं ना याद करूं उसे तो ,
वो अपनी दुनिया में खोया रहता हैं ।।
-) मैंने जिसे अपने से पहले समझा ,
वो भीं मुझे नज़रंदाज़ करते हैं।।
पंख मैंने ही दिए खुला आसमान दिखाया ,
और ये उस आसमान में राज़ करने को कहते हैं।।
-) मैं चाहता ही नहीं बेअदबी दिखाऊं ,
अपने हुनर की इनपर आजमाउं ।।
कुछ तो ये जानते भीं नहीं गहराई कितनी हैं दरिया की,
कैसे अपनी नैया को दरिया के पार लाऊं।।
~~~आशुतोष दांगी~~~
-) मंजिल दूर है, पर हौसले की रौशनी साथ है,
हर ठोकर कहती है, तू अब भी ज़िंदा जज़्बात है।
-) रास्ते थकाते हैं, पर रुकने नहीं देते,
मंज़िलें दूर सही, पर खुद को खोने नहीं देते।
-) हर मोड़ पर अंधेरा है, फिर भी चलते जाते हैं,
मंज़िल की उम्मीद में, दर्द भी मुस्कराते हैं।
-) कदम लड़खड़ाए हैं, पर रुके नहीं हैं,
मंज़िल दूर है, पर हम झुके नहीं हैं।
-) सपनों की राख से ही उड़ान मिलती है,
मंज़िल दूर हो तो क्या, पहचान मिलती है।
-) रास्ते थमे हैं, दिल थमा नहीं,
मंज़िल दूर सही, जज़्बा कम नहीं।
-) पसीने की बूंदों में जो सुकून है,
वो मंज़िल के बाद भी कहाँ नसीब है।
-) हर सुबह कहती है, चल उठ फिर से,
मंज़िल दूर है, पर तू हार मत मान।
-) बेखौफ चल पड़ा हूँ मैं धूप में,
क्योंकि मंज़िल ने छाँव से बुलाया है।
-) जो हारे नहीं, वही मंज़िल पाते हैं,
राहों से दोस्ती कर, तू खुद को आज़माते हैं।
-) एक सपना देखा है, जो नींद से बड़ा है,
मंज़िल दूर है, पर हौसला खड़ा है।
-) हवाओं से लड़कर, चलना सीखा है,
मंज़िल नहीं मिली तो क्या, खुद को देखा है।
-) हर पत्थर से रास्ता बना लिया,
मंज़िल दूर थी, पर सफ़र सजा लिया।
-) बढ़ते रहे, गिरते रहे, पर थके नहीं,
मंज़िल दूर थी, पर अपने थे हम कहीं।
-) उम्मीद की लौ जब तक जलती है,
मंज़िल की दूरी भी चलती है।
"दिल की गहराई से निकली एक आवाज़ है, जो शब्दों में नहीं, बल्कि एहसासों में बसी है; यही है असली शायरी, जो दिलों को जोड़ती है और आत्मा को छू जाती है।”
-) आँधियाँ भी हौसले से हार गईं,
मंज़िल दूर थी, पर हम डटे रहे।
-) जब मन में मंज़िल बस जाए,
तो हर राह आसान लगने लगती है।
-) थकान से कह दिया है, अभी नहीं,
मंज़िल से पहले रुकना मना है।
-) तू चला तो सही, रास्ता खुद बनेगा,
मंज़िल दूर है, पर यक़ीन तेरे संग चलेगा।
-) बड़ी दूर है, ये कहकर ना थम जाना,
हर पड़ाव पे खुद को आज़माना।
-) कुछ लोग डर से रुक जाते हैं,
हम मंज़िल की ज़िद से चल पड़ते हैं।
-) हर रात से कहता हूँ, सवेरा ज़रूर होगा,
मंज़िल दूर है, पर सफर प्यारा होगा।
-) तू रुक मत, ये राहें देख रही हैं,
तेरे कदमों की आवाज़ से मंज़िल जी रही है।
-) सिर्फ पहुंचना नहीं, सीखना भी है,
मंज़िल से पहले, खुद को भी पाना है।
-) कभी थमा नहीं, कभी झुका नहीं,
मंज़िल दूर थी, पर जज़्बा रुका नहीं।
"हिंदी बेस्ट शायरी" एक ऐसी अभिव्यक्ति है जो दिल की गहराइयों से निकलकर शब्दों के माध्यम से भावनाओं को व्यक्त करती है। यह शायरी प्रेम, दर्द, खुशी, और जीवन के विविध पहलुओं को छूने वाली होती है। हिंदी शायरी की विशेषता उसकी सरलता और गहराई में छिपी होती है, जो पाठकों को आत्ममंथन और भावनात्मक जुड़ाव का अनुभव कराती है। यदि आप अपने वेबसाइट पर "हिंदी बेस्ट शायरी" प्रस्तुत करना चाहते हैं, तो यह न केवल आपके पाठकों को भावनात्मक रूप से जोड़ने में मदद करेगा, बल्कि आपकी साइट को एक सांस्कृतिक और साहित्यिक दृष्टिकोण से भी समृद्ध करेगा।
~~~आराध्यापरी~~~
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