Hindi best shayari :- मजेदार शायरी वह काव्य रूप है जो हंसी, खुशी और मजाक को शब्दों में ढालता है। यह न केवल मनोरंजन का स्रोत है, बल्कि जीवन में हल्के-फुल्के पलों की अहमियत को भी दर्शाता है।
-) चांद को अपनी ख़ूबसूरती का ग़ुमान तब तक हैं,
जब तक मेरे सनम की बात ना हो ।।
ज्यों ही बात मेरे सनम की आईं,
चाँद ने अपनी निगाहें बदल ली ।।
-) फूलों को महकने का हुनर ना दीजिएं,
फिज़ाओं को बहकने का हुनर न दीजिएं।।
उनके राज़ हैं ये क्या ख़ूब,
उन्हें अपना सा रहने दीजिएं ,
प्रकृति के आचरण में अपना हस्तक्षेप ना कीजिए ।।
-) अब हमें पंखों की परख दिखाते हैं वे ,
जिन्हें उड़ने का हुनर हमनें सिखाया।।
हम जिस महफ़िल की शान थें,
उस महफ़िल से हमें निकालना चाहते हैं वे ।।
-) मुझे ज़माने की ख़बर नहीं ,
मैं ख़ुद में खोया हूं ।।
हुनरमंद मेरा हुनर ना आजमाओं,
मैं ना जाने कितनी उलफ़तोँ से ,
ख़ुद को समेट लाया हूं ।।
-) मेरी उम्मीद का बांध भी जाने कैसे रुक पाता,
सारी हदों के बाद मैंने अपने सब्र को खोया हैं।।
मुझे किसी और के अंदाज़ में ना नापों,
मैंने हर एक शख़्स को उसके बराबर ही आंका हैं।।
-) मुझको तूफ़ान का डर ना दिखा ,
मैं तूफ़ानो में पला बड़ा हूं ।।
समंदर की धौंस ना दिखा ,
मैं इसपर राज़ कर चुकां हूं ।।
-) तूफ़ान को मौज करने दें ,
हम भीं इस से बेख़ौफ लड़ेंगे ।।
इन बाजुओं में ज़ोर अभी नया नया हैं,
हम अपने हौसलों से युद्ध लड़ेंगे ।।
-) तेरा नाम ही काफ़ी रहा,
हम मुसीबतों से सुलह कर आएं हैं।।
हमें उम्मीद थीं कि बचना अब मुमकिन नहीं,
हमनें तेरे नाम के सहारे ख़ुद को बचाएं रखा ।।
-) तारे चाँद कुछ कह रहें हैं हमसे ,
चांदनी में तेरा चाँद कहां जा छुपा ।।
उनकी बातें सुनकर हम मुस्कुराने लगें,
वे इठलाने लगे हम शर्माने लगें ,
महबूब सनम चांदनी को फिर ,
अपनी निगाहों में छुपने लगें।।
-) मेरे नाम से मशहूर कोई और हर जगह हो गया,
उसके नाम से मशहूर मैं हो गया ।।
-) ये भी क्या कम हैं तुझे और बस तुझे चाहते हैं,
तेरे बग़ैर तन्हा से रहते हैं,
खिले हुएं बाग में मुरझाए से रहते हैं।।
-) कितना कुछ हो गया फिर भी हम कुछ नहीं कहते,
जानते हैं हम यूं नाराज़गी से रिश्ते भी तोड़े जाते ।।
-) तुम मिल जाओ यकीनन सब बदल लेंगे हम ,
तेरे बग़ैर तो आवारा से हैं हम ।।
-) मंज़िल मुकद्दर नसीब ये कहां हैं पास हमारे ,
हम बस तुझे जानते हैं इसके सिवा क्या हैं तासीर हमारी ।।
-) हाल जान जाओ बग़ैर बताएं तो जाने तुम्हें,
यूं हर बात बयां करना भी इश्क़ कि तौहीन हैं।।
ज़िंदगी भर तुझे चाहते रहे बग़ैर किसी शर्त के ,
बस तेरी बातों को मानते रहे बग़ैर किसी हर्ज के
अब भी तुम इठलाओ तो मेरा ना होना ही ठीक हैं।।
~~~आशुतोष दांगी~~~
खूबसूरत शायरी वह काव्य रूप है जो सुंदरता, आकर्षण और मोहब्बत को शब्दों में व्यक्त करता है। यह न केवल बाहरी सुंदरता को दर्शाता है, बल्कि आंतरिक सुंदरता की भी सराहना करता है।
-) जिम्मेदारी का बोझ उठाना सिख लिया मैंने,
काम की राह में, मंजिल तक पहुँचना सीखा मैंने।
-) काम को समझा, उसे सजा लिया मैंने,
जिम्मेदारी का हर पल, खुद पर गिरा लिया मैंने।
-) मेहनत की राह पर, एक नया सवेरा पाया,
जिम्मेदारियों के उस पहाड़ को मैंने सिमटा लिया।
-) काम में सच्चाई, जिम्मेदारी का नारा,
हर मुश्किल को मुस्कुराकर स्वीकारा।
-) जो काम में जुटा, वही सच्चा सिपाही है,
जिम्मेदारी की धरोहर, उसकी पहचान बनाई है।
-) मेहनत से हमेशा, नाता जोड़ते रहो,
जिम्मेदारी के पंखों से उड़ान भरते रहो।
-) कभी न थकना, यही है जिम्मेदारी की बात,
काम की गोद में मिलती है सच्ची सौभाग्य की रात।
-) जब जिम्मेदारी का हाथ थाम लिया मैंने,
अपने कर्तव्यों को, सच्चाई से निभा लिया मैंने।
-) काम में जो निष्ठा, वही जीवन की पहचान,
जिम्मेदारी को मानते हुए, बढ़ते कदमों का हिंदुस्तान।
-) मेहनत का फल मीठा, यही है सच का नारा,
जिम्मेदारी की राह पर, पाओगे सबका इशारा।
-) वक्त की कीमत समझो, यही है जिम्मेदारी,
काम में लगाओ खुद को, यही है मुहब्बत हमारी।
-) काम की हर लहर में, जिम्मेदारी की आवाज़ है,
उसी संग गुजरता, जिंदगी का हर एक रूमाल है।
-) जब तक काम ना होगा, जिम्मेदारी अधूरी है,
समाज का सच्चा रंग, मेहनत की नूर है।
-) जिम्मेदारी का ताप झेलो, मेहनत करो हर पल,
काम के इस समंदर में, तैरकर निकालो सफलता का जल।
-) काम की हर धड़कन में, जिम्मेदारी का संग है,
सही दिशा में बढ़ते चलो, यही जीवन का रंग है।
शांति शायरी वह काव्य रूप है जो मानसिक शांति, संतुलन और आत्म-निर्भरता को व्यक्त करता है। यह न केवल बाहरी शांति की तलाश है, बल्कि आंतरिक शांति की भी खोज है।
-) जब जिम्मेदारी बाजार में बिकने लगी,
तो मैंने मेहनत को हर रोज़ अपनाने लगी।
-) काम की नींव पर, जिम्मेदारी का घर बना,
सच्ची मेहनत से ही, मैंने खुद को समर्पित किया।
-) हर जिम्मेदारी से सजीव, जीवन की सच्चाई है,
काम की दुनिया में, मेहनत की नाई है।
-) जिम्मेदारी के ख्वाब में, काम की रोशनी छुपी है,
अपनी मेहनत के संग, खुशियों की सवारी लिपटी है।
-) जब जिम्मेदारी का बोझ उठाने का मन करों,
तब हाथ में लिए मेहनत, खुद को हर बार निखारो।
-) काम की गहराइयाँ, जिम्मेदारी का बहार है,
सच्चाई से भरी, यही जीवन की सरकार है।
-) जब सब यूँ ही गुनगुनाते, मैंने काम का संग पाला,
जिम्मेदारी को नकारा नहीं, बस सच्चाई से निभा लिया गेला।
-) मेहनत की छांव में, जिम्मेदारी ढलती है,
काम की धार में, जिंदगी की कहानी पलती है।
-) जब तक काम किया, जिम्मेदारी का ख्याल रखा,
सफलता की ओर बढ़कर, मैंने खुद को निखार लिया।
-) काम की चुनौतियों में, जिम्मेदारी का साहस है,
इसी के साथ मैं जीवन की हर मुश्किल का जौहर हूँ।
रिश्तों पर शायरी वह काव्य रूप है जो परिवार, दोस्ती और अन्य रिश्तों की गहराईयों को शब्दों में ढालता है। यह न केवल रिश्तों की अहमियत को दर्शाता है, बल्कि उनके महत्व को भी उजागर करता है।
~~~आराध्यापरी~~~
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