Hindi best shayari -: "हमारी वेबसाइट पर पाएँ हिंदी शायरी का बेहतरीन संग्रह, जो हर जज़्बात को बयां करने का अनोखा तरीका पेश करता है।”
-) ये उजड़े आशियानों के चमन ,
अब आशियाना बनाना चाहते हैं ।।
हम मुकम्मल इश्क में अब उजड़ जाना चाहते हैं,
ख़ुद को बस भुलाना चाहते हैं ।।
दोस्ती हो गई थी ज़माने भर से कुछ गहरी सी,
बस उन गहराइयों से उभर जाना चाहते हैं ।।
तेरे शहर में बिता दिया एक ज़माना हमनें,
अब हाल दिल का ये हैं कि इस शहर से जाना चाहते हैं ।।
मुसीबतों का दौर झेला हैं मैंने वीराने में ,
ये ज़माना मुझसे अब मेरी ख़ुशी बांटना चाहता हैं।।
-) कब तक चाँद आंचल में छुपेगा कभी तो निगाह में आना होगा ,
कब तक पर्दे की आड़ में रहेगा कभी तो महफ़िल में आना होगा ।।
-) उसने जान निकाल ही दी,
जिसे हम ने अपनी जान बना रखा था ।।
इतना सब कुछ एक पल के लिए कर दिया ,
जिसे हमने वर्षों तक सजा रखा था ।।
जिसे हर वक्त ख़ुद में सजा रखा था हमने ,
उसने जब उसकी मर्जी चलाई तो हमारे ख़्वाबों से यादें मिटा दी उसने ।।
-) एक तो शौक़ ये भी नहीं किसी के दिल में उतर जाएं ,
हर एक कि निग़ाह में समां जाएं ।।
कुछ तो उसूल ज़िंदगी में बना रखे हमने ,
दुआ बस यहीं हैं कि उन्हीं को निभा जाएं ।।
ख़ैर ख़ुद की जंग में ख़ुद भुला रहे हैं
उससे दुआ बस यही हैं अब जो चाह रहे हैं उसे ही कर जाएं ।।
-) वक्त बेवक्त यूं भी ना आईए ,
नींदों को ये भी एहसास ना दीजिए ।।
आपके आने से एक अलगपन हम में आने लगता हैं,
बनने संवरने का फिर दिल करने लगता हैं।।
वैसा डरा सा रहता हूं मैं भी ,
और जो आप आते हो तो दिल ना जाने क्या करने लगता हैं।।
-) हम खुद को समेट रहे हैं,
शायद इश्क़ कर रहे हैं ।।
तभी बहकी बहकी बातें कर रहे हैं,
हम दिल को उनके नाम कर रहें हैं।।
इस मौसम में क्या क़माल कर हैं,
हम बसंत को उनके नाम कर हैं ।।
चांद चांदनी से नाराज़ हैं,
हम फ़िर भी हम ये काम कर रहे हैं।।
अबके दिल जुड़ा हैं,
अब ये पैग़ाम लिख रहें हैं।।
उनकी महफ़िल सजती ख़ूब हैं वो गुलाब और भंवरे ,
अब हम उनके होकर एक और मेहमान बन रहे हैं।।
हम इश्क़ मुकम्मल करके ये हवा बाजी सरेआम कर रहे हैं,
हम इश्क़ कर रहे हैं,
दिल उनके नाम कर रहें हैं।।
-) इश्क़ में तेरे एक काम कर रहे हैं,
हम खुद को अंजान कर रहे हैं।।
कभी आए थे दूर कहीं शहर से ,
अब ख़ुद को इस शहर के नाम कर रहे हैं।।
बेबुनियादों ,झूठों के शहर में ,
सच की राह पकड़ रहे हैं ।।
ये हवाएं सर्द फिजाएं ख़ुद को,
आजाद कर रहे हैं।।
हम खुद को आबाद कर रहे हैं,
या कहो ख़ुद को बर्बाद कर रहें हैं।।
-) तेरे इश्क़ में रंग हजार आ गए ,
हमने दो ही रंगों को जाना हैं ताउम्र ।।
नौ रंगों में भी दो ही नज़र आएं हैं,
एक काला एक सफेद जाना हमने ताउम्र ।।
भरोसा करते रहे आंख मुझ कर हम ,
आंखे खुली तो जाना हमने बंद आंखों से क्या क्या खोया ताउम्र ।।
-) तेरे इश्क़ ने हमको जमाने से अलविदा कर दिया
वरना हम भी मशरूफ खूब थे ज़माने में ।।
जानता कौन नहीं था हमें ,
अब बस जानती हैं तेरे शहर की गलियां हमें ।।
-) हम सफ़र में यूं मशरूफ हुएं ,
मंज़िल पाने के बाद भी सफ़र में रहें ।।
किसी ने उम्र बिता दी मंज़िल की तलाश में ,
हम सबकुछ पाकर भी बर्बाद से आबाद रहें ।।
हमसे ये भी ना पूछों कि चाहत क्या हैं तुम्हें,
हम चाहतों के इरादे से बस परे रहें ।।
-) तेरे शहर में हम हैं ये भी क्या खूब हैं,
हम हैं, और केवल अकेले हम हैं।।
तेरा ना होना किसी रंजो ग़म से कम नहीं ,
पूछता दिल भी हैं कि हम क्यूं हैं।।
कभी तू जो नज़र ना आता था तो ,
हम खुद से रूठ जाते थे ,
तू अब हैं भी नहीं इस शहर में ,
जब भी ख़ुद को मना रखा हैं।।
तेरे बग़ैर किसी ख़ुशी के हकदार नहीं,
तेरे साथ में ग़म भी ग़म सा नहीं ,
लगता सब ऐसा हैं जैसा खुशियों का पिटारा हैं।।
-) हाथों कि लकीरों में कुछ भी तो नहीं ,
ईमानदारों के ईमान में अब वो ईमान भी नहीं ।।
जो जाने रिश्ते दिल के वे दिलबर भी नहीं ,
ख़ुद को तलाशता एक शख़्स अब वो मैं भी नहीं ।।
जाने बागियों कि बाते मन मेरा मगर ये पूरा बागी भी नहीं,
चंबल पुकारती हैं जिसे वे अब डाकू भी नहीं ।।
खोजता हैं रेगिस्तान में कोई पानी कि बूंदें,
अब सूखे में पानी भी नहीं ।।
-) तू हासिल हमको चांद सा हैं,
हम रात का सफ़र करते नहीं ।।
चांदनी से रिश्ता हमारा बनता नहीं ,
और सूरज से तेरा वास्ता नहीं ।।
-) एक मुलाक़ात को तरस गएं वो ,
जो कभी हरवक्त के हक़दार थें ।।
कुछ तमाशा किस्मत सरेआम कर गईं,
कुछ फ़ैसले उनके हक़ में ना थें ।।
-) हम उसके हो गएं पूरे होंशों हवास में ,
जो आँख उठा के देखा उसने तो खो गएं
उसकी आँख में ।।
कुछ हासिल शायद हो जाता हमें ,
जो रहते होश में ,
शायद वो ही मिल जाता ,
खो रहा था जिसके ख़्याल में ।।
~~~आशुतोष दांगी~~~
-) तुम हो सागर, मैं हूँ लहर,
संग तुम्हारे बीते हर एक पल मेरा खेमा।
-) तेरी मुस्कान से होती है सुबह की शुरुआत,
तू ही है मेरी हर चाहत, हर ख़्वाब की पहचान।
-) तेरे बिना अधूरी है ये हर एक धड़कन,
तेरा नाम लूँ जुबां से, यही है मेरी हर दुआ।
-) स्नेह भरी बाहों में छुपा है सारा जहां,
तुमसे मिलकर हर ग़म बन जाता है एक कहानी।
-) तुम मेरी तन्हाई में जैसे चाँद की रौशनी,
हर रात तुम्हारी यादों में बुनती है खुशबू।
-) तेरे इश्क का दिया जलाकर रखा है दिल में,
तुमसे मिलने की ख्वाहिश है, हर सांस का अदान।
-) तेरे बिना यह दिल है बंजर,
तेरा साथ हो तो हर लम्हा है बसंती।
-) तुम्हारी प्यार में छुपा है सारा जहां,
जैसे सुबह की किरने हों तुम, मेरे जीवन की रागिनी।
-) तेरी धड़कन में है मेरी पहचान,
तू है मेरी छांव, तू है मेरा आसमान।
-) जब से देखा तुम्हें, सब खो गया,
तुम मेरी जिंदगी में जैसे नया रंग भर गया।
-) तुम्हारी हर बात में छुपा है जादू,
तुमसे ही बनता है मेरा हर एक ख्वाब।
-) तू है हमारी दुआओं का फल,
जब से मिले तुम, सब कुछ है अनमोल।
-) तेरे साथ चलना है जीवन का महाकविता,
तुम मेरी प्रीति, तुम मेरी कविता।
-) तेरा नाम लूँ जब, ये दिल मचलता है,
तेरे बिना हर एक पल यह उलझता है।
-) जब तू साए में हो, ग़म भुला दूँ,
तेरे बिना अब मैं अधूरा सा हूँ।
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-) तुम हो तो मौसम भी खुशगवार सा लगे,
तेरे बिना हर सुबह बस बंजर सी लगे।
-) तेरा इश्क सजा है मेरे दिल के कोने में,
जैसे चाँद छिपा हो बादलों की ओट में।
-) तेरी हंसी में छुपा है हर दर्द का इलाज,
तुमसे मिलकर हर ग़म बन जाता है छुट्टी का आगाज़।
-) तुमसे शुरू हर एक कहानी,
तुम ही हो मेरी जिंदगानी।
-) तेरे बिना ये राहें हैं वीरान,
संग तेरे हर पड़ाव है सुहाना।
-) तेरा नाम लूँ हर सुबह,
तुमसे ही है मेरा हर दिन खूबसूरत।
-) जब तुम पास हो, हर ख़्वाब हकीकत,
तुम मेरी मोहब्बत, तुम मेरी चाहत।
-) तेरी आँखों में बसी है दुनिया मेरी,
तेरा हाथ थाम लूं, यही है कश्मकश मेरी।
-) जब से तुम मिले, हर दिन हो खास,
तुम मेरी खुशी, तुम मेरी सांस।
-) तेरे बिना अधूरे हैं ये ख्वाब मेरे,
तुम हो तो हर लम्हा है हसीन बेड़ियाँ।
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~~~आराध्यापरी~~~
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