Hindi best shayari -: "हमारी वेबसाइट पर पढ़ें हिंदी की बेहतरीन शायरी, जो आपके दिल की गहराईयों से निकलकर भावनाओं को एक नई पहचान देती है और हर लम्हे को खूबसूरत बनाती है।"
-) हम से पेश ना आ ग़ैरों सा ,
हम किसी अपने से ज़्यादा वफादार हैं ।।
ये बातों से नज़रंदाज़ हैं,
और हम सारी बातों का सार हैं ।।
-) कुछ तो हम तबाह करेंगे ,
पैग़ाम लाने वालों को इकतला करेंगे ।।
हमसे अब विनाश की लपटें निकलती हैं,
जिसके ऐसे होंगे उसको पूरी तरह खाक करेंगे ।।
-) पहले बख़ूबी इज़्ज़त से पेश आतें हो ,
भरी महफ़िल में मुकर जाते हों ।।
कोई ना पास तुम्हारे हो ,
तो अपने बन जातें हो ,
जब आने लगें हवाएं यहां वहां की ,
तो हमको सरेआम आम बेइज्जत कर जाते हों ।।
-) अब अपने घर से बेघर हो रहें हैं,
अपनों की बातों से पराएं हो रहें हैं।।
ये ख़बर ना थी कि घर ढूंढना होता हैं एक उम्र के बाद,
अब मालूम हुआ एक अरसे के बाद ,
अब सभी बातों से अलग हो रहें हैं।।
एक ऐसी तपिश में जलते रहें ।।
जिसका हिस्सा हमको ना होना था कभी,
परायों से थे जिसको हम,
ना जाने उसे अपना क्यूं समझते रहें ।।
-) हो सके तो यह एहसान करना ,
मुझको मेरे जैसा करना ।।
पहले बहुत ख़ूब था मैं,
कुछ वक्त के लिए जाने क्यों तुम्हारें रंग में हुआ था,
अब मुझको ख़ुद से जुदा करना ।।
-) हमसे नज़रें मिलाने वाले ,
ना जाने नजरों का फेर क्यूं करने लगे ।।
हम जिन्हें ख़ुदा समझते थे ,
वे इंसानों से पेश आने लगे ।।
-) रंग बदलने वाले एक रंग में आने लगे ,
तो नौसिखिए ये हुनर आजमाने लगें ।।
जिनकी तलाश बस ख़ुद तक थीं,
वे हमारी तलाश में आने लगे,
मतलब अपनी उम्र को अब ख़त्म करवाने लगें।।
-) ये भी क्या कम हैं,
कि हम होश में हैं।।
इतना कुछ होने के बाद ,
कौन पागल नहीं होता ,
लेकिन हम अब भी उनके इश्क़ में हैं।।
-) वो अपने घर की इज़्ज़त का ख्याल कर बैठे ,
हम तमाशा भरे बाज़ार कर बैठें ।।
उन्हें दहलीज के अंदर तक ना जान पाया कोई,
हम सारे शहर में उनका नाम कर बैठें।।
-) मोहब्बत की तौहीन मैं ख़ुद हूं ,
सरफिरों को आशिक़ी ख़ुदा लगती हैं ।।
मैं ख़ुदा को एक पल में भुला आया,
और बातें इश्क़ की करता हूं ।।
-) एक तो ये ग़फलत हैं कि मैं अब भी ज़िंदा हूं ,
लाश जैसा हूं मग़र मैं जिंदा हूं ।।
कुछ तो मर ही जाते हैं बर्बादियों के बाद,
मगर मैं अब भी ज़िंदा हूं ।।
सब छोड़ के चले गए उस मौसम में ,
उस मौसम के भी सब चले गए,
मगर मैं अब भी ज़िंदा हूं ।।
-) क्यों ज़िद को तुम्हारी हमारी मजबूरी बनाते हो,
इश्क़ करके कहते हो कि मोहब्बत नहीं ,
क्यों खाम आ खा जान हमारी ले जाते हो ।।
-) एक वादा ये करो ,
हमें अपना करो ,
बाक़ी जमाने को अलविदा कहो,
हम तुम्हारें हैं इस बात की हां करो ।।
~~~आशुतोष दांगी~~~
-) घर मेरा हो छोटा सा,
पर उसमें सुकून बड़ा हो।
दीवारें हों यादों से भरी,
और दिल हर कोने में बसा हो।
-) ना दर हो कोई, न फ़िक्र कोई,
जहाँ अपनों की महक हो वही जन्नत है।
काँधे पे सिर रखकर सो जाऊँ,
घर की वो छत सबसे हसीन राहत है।
-) ईंट-पत्थर का ढाँचा नहीं,
ये जज़्बातों की बुनियाद है।
घर मेरा जन्नत है यारों,
जहाँ माँ की दुआ साथ है।
-) दरवाज़ा खुलते ही मुस्कानें मिलें,
ऐसा आशियाना चाहिए।
घर मेरा मंदिर हो जैसे,
हर रोज़ वहाँ सुकून की पूजा हो।
-) भीड़ में भी तन्हा न हो जहाँ,
वो कोना मेरा घर है।
दुनिया से लड़कर थक जाऊँ,
तो लिपट जाए वो दीवारें।
-) तेज़ हवाएँ बाहर हों,
अंदर बस प्यार बहता हो।
घर मेरा एक गीत हो,
जो हर दिल को राहत देता हो।
-) ना ज़रूरत किसी स्वर्ग की,
ना ही किसी महल की तलाश है।
जहाँ माँ-पिता मुस्कराएँ,
वहीं जन्नत की सबसे बड़ी आस है।
-) बिजली कम हो, पानी कम हो,
पर रिश्तों का उजाला भरपूर हो।
घर मेरा मंदिर हो दिल का,
जहाँ हर रिश्ता खुदा हो।
-) कभी तन्हाई में साथ दे,
कभी हँसी में शोर करे।
घर मेरा साथी हो मेरा,
जो हर मोड़ पे ज़ोर करे।
-) ना झूमर की रौशनी चाहिए,
ना ही पर्दों की शोभा।
बस वो आँखें जो इंतज़ार करें,
घर वही मेरा खोया-सोया।
-) मिट्टी की खुशबू भी खास लगे,
जब वो अपने आँगन से हो।
घर मेरा जन्नत है ऐसा,
जहाँ हर एहसास सच्चा हो।
-) ना कोई दिखावा, ना कोई डर,
घर हो जहाँ सब अपने हों।
वो हँसी जो बिना वजह हो,
घर मेरा जादू ऐसा हो।
-) खुशबू हो माँ के खाने की,
आवाज़ हो पापा की सलाह की।
घर मेरा सपना हो ऐसा,
जो खुली आँखों से साकार हो।
-) तन्हाई में भी जो साथ दे,
घर मेरा वही रूह की छाँव है।
बचपन से जवानी तक,
हर पल का वो गवाह है।
-) छोटा हो या बड़ा, फर्क नहीं,
घर वो है जहाँ दिल लगे।
चार दीवारों में जो प्यार मिले,
उससे बड़ी कोई चीज़ न लगे।
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-) हर शाम लौट आऊँ उसी छत के नीचे,
जहाँ बचपन आज भी मुस्कुराता है।
घर मेरा ठिकाना नहीं बस,
वो मेरी रूह की आवाज़ है।
-) जब थक जाए ये दुनिया की दौड़,
तो घर ही राहत बन जाता है।
वो चाय की चुस्की, वो खिड़की की हवा,
सब कुछ वहाँ खुदा सा लगता है।
-) हर कोना एक किस्सा कहता है,
हर दीवार में कुछ राज़ छुपा है।
घर मेरा कहानी है जीती-जागती,
जो हर बार नया पन्ना बनता है।
-) मकान बनाना आसान है,
पर घर दिल से बनता है।
जहाँ रिश्तों की नींव हो,
वहीं असली जीवन बसता है।
-) घर वो है जहाँ आँसू भी सहे जाएँ,
और हँसी भी बाँटी जाए।
जहाँ हर सुबह उम्मीदों से भरी हो,
और हर रात सुकून से कटे।
-) रंगीन दीवारें नहीं चाहिए,
बस रंगीन रिश्ते चाहिए।
घर वो हो जहाँ हर दिन त्यौहार हो,
और हर शाम मेले जैसी।
-) नींद सबसे गहरी वहीं आती है,
जहाँ घर की छाँव हो।
बाक़ी सब तो सराय है,
घर ही असली ठिकाना है।
-)बाहर की दुनिया चाहे जैसी हो,
घर की मुस्कान सबसे प्यारी होती है।
हर लम्हा वहाँ महकता है,
जैसे जन्नत की क्यारी होती है।
-) घर की चुप्पी भी बोलती है,
और उसकी रौनक भी सुनाई देती है।
जहाँ दिल लगे बार-बार जाने को,
वही जन्नत का दरवाज़ा होता है।
-) घर मेरा मंदिर भी है, मस्जिद भी,
वहाँ हर धर्म का आदर है।
सिर्फ ईंट नहीं, आत्मा बसती है,
घर मेरा दुनिया से ऊपर है।
"आपकी ज़िन्दगी को खास बनाने के लिए यहाँ पाएँ बेहतरीन हिंदी शायरी, जो आपके जज्बातों को शब्दों में ढालकर दिल छू जाए।"
~~~आराध्यापरी~~~
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