Hindi Best shayari -: "हमारी वेबसाइट पर 'हिंदी बेस्ट शायरी' का एक अद्वितीय संग्रह उपलब्ध है, जो आपके दिल की गहराइयों को छूने वाली शेरो-शायरी के साथ हर एहसास को खूबसूरती से व्यक्त करता है।"
-) अब तो इस हाल हैं हम ,
अकेले हैं तन्हा हैं और खुशहाल हैं हम ।।
एक भ्रम था जो टूट ही गया ,
सबकुछ जानने के बाद भी अंजान हैं हम ।।
-) किसी रोज फुर्सत में बैठो तो जानो किरदार मेरा ,
मैं जो हूं असल में बच्चों सा,
ये भ्रम जाल हैं मुस्कुराने का ।।
खुद को मैंने ही अपना रखा हैं,
वरना समझदारो की भीड़ में कौन पूछे हाल मेरा ,
कच्छी उम्र निकलता वक्त छीन लेता हैं सबकुछ,
एक उम्र में खो गया बचपना मेरा ।।
मैंने खुद को रोके रखा ,
वरना सबकुछ तबाह कर देता ये ख्वाब मेरा ।।
किसी गैर से शिकायतें क्या ,
जब जानने वाले ही ना
जाने हाल मेरा ।।
-) सुकून को खोजते खोजते हम परेशानियों में आ उलझे ,
किसी को ढूंढने निकले थे और खुद को भूल बैठे ।।
सफर में ना जाने कितनी दूर तक आ गए,
मंजिल का पता नहीं हम जाने किसकी तलाश में आ निकले ।।
कभी किसी मोड़ पर याद आ जाएं हम तो जानना यह,
तेरे दिल में रहने वाले अब सड़कों के सफर में बड़ी दूर आ निकले ।।
किसी रोज तुम आओगे ढूंढने हमें इस उम्मीद में दिल रहता हैं,
ऐं आने वाले देर करना आदत तेरी ,
इस बार जल्दी आना ,
खुदको तो रोक रखा मैंने,
मगर इस बार मेरी जान निकले ।।
-) सुना हैं टूटते तारे से दुआ कबूल होती हैं,
जाने कब ये तारे टूटते होंगे ।।
एक उम्र से दुआ कबूल ना हुईं मेरी,
जाने खुदा क्या सोचते होंगे ।।
कोई पता दो मुझे जाने कहां,
झिलमिल तारे कबूलनामा लिखते होंगे ।।
-) हम खुद को ना जाने कहा दफन कर आएं हैं,
ये जो शख्स हैं ये मैं तो नहीं ।।
मेरा होना रौद्र रूप शिव का ऐसे था ,
ये जो सबकुछ सुन लेता हैं बग़ैर कुछ कहें ,
ये मेरे जैसा कोई हैं मैं तो नहीं ।।
-) दीवानों ने नज़र उठा कर देखा ही नहीं तुझे,
वरना जन्नत से पहले तुझे मांगते ।।
जो मिल जाता सबकुछ उन्हें ,
उसके बाद भी सिर्फ़ तुझे मांगते ।।
जमाने भर में क्या नहीं हैं मांगने को ,
जो ज़ुल्फ सवार ले तू तो ज़माने भर की ख्वाहिशें,
सब तुझपे वार दें ,
ना मिले फ़िर भी तू तो ,
तेरे जैसा मांगते ।।
-) परिंदों को शौक हैं,ऊंची उड़ान भरने का ,
हर किसी के नसीब में आसमान नहीं ।।
कुछ चाहते हैं कैद हो जाना ,
हर किसी की मंजिल ये खुला आसमान नहीं ।।
कुछ लोग अक्सर तन्हाई को पसंद करते हैं,
उन्हें महफिलों कि भीड़ में नज़र सब आते हैं ,
लेकिन उस भीड़ में उनका अपना कोई नहीं ।।
-) ये सर्द मौसम ये ठंडी हवाएं,
शौक है बस इन अमीरों के ,
मैंने देखा हैं झोपड़ियों को
शिकायत करते खुदा से ।।
वो दुखड़ा रोते हैं सूरज के ढलने का ,
काली रात के बढ़ने का ,
वो सोचते तो हैं कि बस दिन ही रह जाएं,
आज तो गुजर गया किसी तरह ,
बस ऐसे ही बीत जाए दिन चार जिंदगी के ।।
-) एक सफर ये भी कमाल हैं,
सबकुछ पास हैं लेकिन कुछ भी ना पास हैं।।
किसे सुनाएं कहानी तेरे ना होने की ,
तू हैं कहीं आसमानों में दूर कहीं तेरे होने जैसा बस अहसास हैं ।।
कुछ तो मुस्कुराता चेहरा मेरा ख़ुदा को भी नहीं भाता हैं,
जो मैं ज़रा सा मुस्कुरा दूं तो वो मेरी मुस्कुराहट छीन लेता हैं ।।
-) हम उनकी महफ़िल में पहुंचे तो तमाशा सरेआम हो गया ,
मेरा चाहने वाला सफेद चादर ओढ़ के सो गया ।।
जानने वाला कोई ना था उसके सिवा मुझे ,
जो हाथ जनाजे को लगाना चाहा मैने तो कत्लेआम शुरू हो गया ।।
कहीं चैन से सोया हमसफर मेरा ,
देख के मुझको बदहोश सा ,
सोया था जो शख्स वो भी परेशान हो गया ।।
फ़िर जनाजा चला उनका ,
मेरे बग़ैर चलना गैर जिसे था ,
मेरे साथ चलने वाला भीड़ में सबसे आगे था ,
ज़रा देखो इसे कभी जो सिर्फ मेरा था,
आज वो मुझसे ग़ैर हो गया ।।
-) तुम जानते भी नहीं कि क्या हो तुम मेरे लिए ,
सावन की बूंद हो ,
सर्दी की धूप हो
रेगिस्तान में पानी हो ,
तपती धूप में छांव हो ,
ख़ुदा की रहमत सा होना हैं तेरा मेरा होने के लिए ,
जानने वाले क्या ही जाने तुम खुदा हो मेरे लिए ।।
-) उसके चेहरे पे रौशनी बिखेरते चांदनी शर्माती हैं ,
वो जो मुस्कुरा दे तो कलियों को जलन हो जाती हैं।।
उसके होंठो की लाली देख ,
ग़ुलाब की पंखुड़ियां सिकुड़जाती हैं।।
वो जो छू ले पत्थर को ,
तो वो भी पारस बन जाता हैं।।
जो वो ज़ुल्फ को संवारे तो ,
मेघ गर्जना शुरू कर देते हैं ।।
वो जो स्पर्श कर दे विष को ,
तो स्पर्श से उसके विष अमृत सा शबाब बन जाता हैं।।
वो जो लगा ले काजल आँखो में ,
तो यूं लगे जैसे ब्रह्मकमल खिल जाते हैं।।
वो हैं तो इन नज़ारों में नज़राने होते हैं,
उसके होने से वन में वसंत होता हैं,
वो जो ना हो तो सब सूखा रेगिस्तान सा लगता हैं,
उसके होने से ही तो ये मेरे जैसा शख्स आशुतोष सा लगता हैं।।
-) होता जो बस में मेरे तो दूर आसमानों से ले आते तुझे ,
आखिर कुछ तो हैं जो मेरे बस में बिल्कुल भी नहीं ,
जो होता बस में ये तो दूर ना होता तू ,
बस यही एक मर्जी और ऐसी मर्जी ख़ुदा की जो तनिक भी नहीं भाती मुझे ।।
-) तेरे शहर में यूं खास तो नहीं पहचानता मुझको कोई ,
मगर मशहूर हैं तेरे नाम से मेरे जैसा कोई ।।
खैर ये बाते ,
ये वादे जनता हूं में,
मगर इन सभी को मेरे अलावा जानता नहीं कोई ।।
-) तेरे बगैर ये खुशियां तमाम ना मंजूर हैं हमको ,
तेरे जैसा नहीं केवल तू मंजूर हैं हमको ।।
हसीन चेहरे लाख जमाने में मगर ,
एक तेरे चेहरे की मुस्कुराहट मंजूर हमको,
तू नहीं तो सावन का आना पतझड़ सा हैं, खिलखिलाती फिजाओं का रूठ जाना सा हैं।
बसंत का महकना उन्हें मंजूर हो , हमारे लिए तो सब रेगिस्तान सा हैं।
तेरे बाद तेरे शहर से जाने का जी चाहता हैं,
लगा दूं आग बस्तियों को बस ये आशुतोष चाहता हैं।।
कितना संभाले ख़ुदको भी हम ,
ये शांत सा लड़का सारी शांति तोड़ना चाहता हैं।।
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-) वे भूल जाने की बात को ही बस याद रखता हैं,
बाक़ी सब बातों को भूल जाता हैं।।
-) उसकी एक अदा कमाल हैं,
वो मेरी बातों को सुनते सुनते मुझे भूल जाता हैं ।।
-) वो प्यार करने का हुनर नहीं जानता था ,
मैंने उसे ये हुनर भीं सिखा दिया ,
और वो जब ये हुनर सीख गया तो उसने मुझे भुला दिया ।।
-) मैं अपनी खामोशियों का शिकार रहा,
शायद कुछ बोल जाता तो कोई बोलने लायक नहीं रहता ।।
-) मैं महफूज था पनाह में किसी की ,
कोशिश की अकेलेपन की तो सब कुछ तबाह हो गया ।।
-) हुनरमंंद होना इतना आसान नहीं,
बड़ी क़ीमत चुकानी पड़ती हैं छोटी से छोटी चीज़ के लिए ।।
-) वो लौट आने की बात ना करता तो मैं कुछ और सोच लेता ,
वो आने की बात कर गया जाते जाते मैं उसकी तलाश में बैठा हूं एक ज़माने से ।।
-) मुलाकातों का क्या कीजियें बातें दिल से कीजियें,
माना मिलना आसान नहीं दिल के रिश्तें को यादों से निभाइएं ।।
-) हम ये सोच कर भीं परेशान हैं,
हमारे जैसा कोई भीं नहीं ,
कभीं जो हम ना रहें,
तो जाने उसकी जान कैसे रुकेगी ।।
-) हमें हिदायत ना दीजिएं,
की क्या कर सकतें हैं आप ,
हम भी किसी के इश्क़ में इतने फना हैं,
जैसे बाज के पंजों में सर्प हो ।।
-) ख़ौफ़ भीं हमसे ख़ौफ़ खाने लगा ,
जबसे हमनें अपना इरादा उसे बताया,
की मैं तबाही की आख़िरी सांस तलक तबाही करूंगा ।।
-) बातें बुरी लगने लगें ,
बिन बातों के जी मचलने लगें,
तो समझ जाईए वक़्त आ गया हैं रास्ता बदलने का ।।
-) हम वफ़ा हैं आशुतोष,
बेवफ़ाओं के मुँह से हमारा नाम अच्छा नहीं लगता,
उनके किए पापों का प्राश्चित इतना आसान नहीं हो सकता ।।
-) भूलें भटकों को ख़बर कीजियें,
मैदान ए जंग का ये उसूल कीजियें,
हमसे उलझने का आख़िर अंजाम क्या हैं,
मौत उनको हैं ये पैग़ाम हमारा हैं।।
-) वफ़ा की बातें कर गया कोई,
बेवफ़ा होकर मैं वफ़ा की बातें ना कर सका ,
हो क्या सकता था आख़िर वहां,
मैं अपना रास्ता बदल कर चल दिया ।।
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-) वो फ़ूल बरसाने की बातें करता रहा,
लोग उसको सच मान बैठें ,
मेरा दिल उसको बेहद क़रीब से जानता था,
उसने फूलों के नाम पर कांटों की बरसात कर दीं ।।
-) मैं गली गली में मशहूर ,
अपनी अदाओं में मशरूफ़,
मुझसे ये ना पूछें क्या कर रहें हो ,
मैं दीवानों तरह दीवानापन कर रहा हूं ।।
-) ये ना पूछ दिल का हाल क्या हैं,
बस बदहाल हैं ख़ुद से दिल नाराज़ हैं ।।
-) वो इरादा कर लें अगर आ जाने का,
उम्मीद मिल जाएं हमें उम्र बढ़ाने की ।।
-) वो चला गया दूर एक दूर शहर का मुसाफ़िर था,
मैं उम्मीद में था कि वो लौट आयेगा मेरी बुरी हालत को देख कर ।।
-) मैं अपने बदहाल हाल को कैसे संभालूं,
मुझे संभालने वाले ने जाने रास्ता किस और का बदल लिया ।।
-) मुस्कुराने वालें ग़म छुपा रहें हैं,
अपने बुरें हाल को छुपा रहें हैं,
हम आंसुओं की ज़ुबां बोल रहें हैं,
अब किससे कहें क्या गुज़री अपनी कहानी के बदलें स्वर सुन रहें हैं ।।
-) कोई राह मंज़िल नज़र नहीं आती अब,
कैसे साफ़ राह पर चलते थें उस दिन ,
बीतें दौर को याद करके अश्रुओं का साथ मिलता हैं बस ।।
-) मैं आंसुओं के सहारे जिएं जा रहा हूं ,
सबकुछ भुला कर ज़हर का घुट पिएं जा रहा हूं ,
एक फ़ैसला कर के लौट आना मेरी बदहाल सी ज़िंदगी का अंतिम पड़ाव पार किए जा रहा हूं।।
-) मैं ये सोच कर भीं परेशान हूं,
वो ज़माने के जँजाल से अंजान हैं,
उसके भोलेपन से मैं डर में हूं ।।
"हमारी वेबसाइट पर आपको मिलेगा हिंदी की बेहतरीन शायरी का संग्रह, जो हर एहसास को दिल छूने वाली और अनोखी कविता के रूप में प्रस्तुत करती है।”
~~~आशुतोष दांगी~~~
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