Hindi best shayari -: हिंदी शायरी" शब्दों का वो जादू है जो दिल की गहराइयों से निकलकर सीधे रूह को छू जाता है। हमारी वेबसाइट पर आपको मिलेगी शायरी की एक अनूठी दुनिया, जहाँ हर लफ़्ज़ में छिपी है एक नई कहानी, एक नया एहसास। चाहे वह प्यार का इज़हार हो, दर्द की गहराई, या जीवन की सच्चाई—यहाँ हर मूड के लिए शायरी है। हमारी शायरी संग्रह आपके जज़्बातों को शब्दों में पिरोने का बेहतरीन माध्यम है।
-) काज़ल लगी आँखें सुर्ख थी उसकी ,
काजल के बग़ैर खूबसूरत कमाल लगती वो ।।
जो लगाया आंखों पे उसने ,
परियों की शहजादी लगती वो ।।
-) झलक एक जो पा ले उसकी ,
जाने कितनी बार गंगा नहा ले वो ।।
हम पापों में घिरे थे जाने कबसे ,
अब पाप मुक्त हो गएं हैं हम ।।
-) उसके दीदार को आशुतोष तरस जाते हैं,
बातें तमाम करते हैं लोग कि ना देखो उसे ।।
हमको लगता ऐसा हैं कि ,
मौत को गले लगा ले और फिर ना देखें उसे ।।
-) हम मोहब्बत की पहली दहलीज पर हैं,
इसके पहले ऐसा अहसास ना हुआ हैं हमको ।।
हम गलतियों का पिटारा रहें हैं,
अब उसके सिर गलती बनना हैं हमको ।।
-) जाने लोग क्यों पहली मोहब्बत का तमाशा करते हैं,
किसी और पर उस मोहब्बत का गुनाह मड़ते हैं ।।
वफ़ा अगर होती उन्हें ,
तो जाते क्यों छोड़ कर ।।
और तुम जो बेवफ़ा उसको कहते हो ,
फ़िर दिल दूसरे से लगाते कैसे उसे भूल कर ।।
जो हैं नहीं उसका क्या जिक्र करतें हो अब ,
दूसरी मोहब्बत को पहली क्यों नहीं समझते तुम ।।
-) हम गाँव हमारा छोड़ आएं हैं,
जाने किसको रोता छोड़ आएं हैं।।
दिल तो ना था शहर जाने का,
कुछ अपनों की बातों से अपना घर छोड़ आएं है ।।
-) मुझसे मेरी आशिक़ी का सवाल ना कर ,
दिल मेरे गांव से क्या ख़ूब लगाया था मैंने ।।
कैसे छोड़ आया सब ये सवाल ना कर ,
कहीं सूरज उगता था मेरा ,
कहीं शाम ढलती थी मेरी ,
अब जो वीरान कर आएं हैं
अपनी शामों को हम छोड़ आएं हैं ।।
-) कहीं दिन गुज़र रहा हैं,
शाम की ख़बर ना लो ।।
हम अपना घर छोड़ आएं हैं,
हमें अब बंजारा बना लो ,
किसी दामन में छुपा लो ।।
-) हमने फ़ैसला ये क्या कर लिया ,
एक बात पे घर छोड़ दिया ।।
और तो करते क्या ,
कुछ उम्मीद भी ना थीं,
अपने आप से बस सब अलग कर लिया ।।
-) लोग बातें करते हैं,
जाने किस आसमान की ।।
हम अपने घर का आंगन देखते हैं,
लोगों को फ़ुर्सत ही नहीं बाहर की दुनिया से,
अपने किरदार में ज़मीन देखते हैं।।
-) मेरे मेहबूब से मोहब्बत में ,
जान की बाज़ी सी बात हैं ।।
उसके एक इशारे पर,
ज़िंदगी उसके नाम हैं ।।
-) मैं अफवाहों से बचा रहता हूं ,
आंखों के सामने जो घटे,
बस उसे सच कहता हूं ।।
लोगों की बातों का क्या ,
ये अफवाहों में जिया करतें हैं,
मैं अफवाह की आस को ख़ारिज किया करता हूं ।।
-) ज़िंदगी में कुछ और तो ग़म नहीं ,
जो हासिल था कभी ,
अब पास में वो भी नहीं ।।
ख़ुद से क्या हैं हमें,
जो था किसी और का था ,
अब हमारे पास हम ही नहीं ।।
-) उसकी आँखों में नूर नज़र आता हैं,
मेरे चेहरे की शक्ल का चेहरा नजर आता हैं ।।
और तो ज्यादा उनमें डूबा नहीं मैं,
वरना उनमें मुझे मेरा वर्तमान भविष्य सबकुछ नज़र आता हैं ।।
-) मेरे मेहबूब मेरी मोहब्बत का तमाशा मुझसे ना कर ,
तेरे होने की ख़बर जमाने को ना कर ।।
और तो कुछ होता नहीं ज़माने में ,
नज़र लगाते हैं लोग ,
मेरी मोहब्बत को नज़र के हवाले ना कर ।।
~~~आशुतोष दांगी~~~
"दिल की गहराई में बसी है वो शायरी, जो शब्दों से नहीं, एहसासों से लिखी जाती है।”
-) मैं हूँ बदनाम, मगर दिल से सच्चा हूँ,
झूठों की दुनिया में अकेला ही अच्छा हूँ।
-) मैं हूँ बदनाम, फिर भी लोग जलते हैं,
मुझसे नहीं, मेरी हिम्मत से डरते हैं।
-) मैं हूँ बदनाम, हर नज़र में सवाल हूँ,
जिनसे मिला नहीं, उनके भी खयाल हूँ।
-) मैं हूँ बदनाम, क्योंकि सच कहता हूँ,
भीड़ में नहीं, अपनी राह चलता हूँ।
-) मैं हूँ बदनाम, पर चेहरा उजला है,
झूठों के बाज़ार में बस दिल ही कच्चा है।
-) मैं हूँ बदनाम, तेरा किया तो नहीं,
लोगों ने जो सुना, वो मेरा लिखा तो नहीं।
-) मैं हूँ बदनाम, फिर भी शान से जीता हूँ,
जो कहते हैं पीछे से, उन्हें सामने सीता हूँ।
-) मैं हूँ बदनाम, अपने फन में माहिर,
अफ़वाहों से डरूं, मैं नहीं वो शायर।
-) मैं हूँ बदनाम, फिर भी मशहूर हूँ,
तू जो भुला न सके, मैं वही हूर हूँ।
-) मैं हूँ बदनाम, इश्क़ के अफसाने में,
नाम नहीं मेरा, पर चर्चा हैं फसाने में।
-) मैं हूँ बदनाम, कड़वी सच्चाई जैसा,
जो चुभता है दिल में, पर होता है वैसा।
-) मैं हूँ बदनाम, मगर खुद्दार हूँ,
तूफानों में भी अपनी पहचान बरक़रार हूँ।
-) मैं हूँ बदनाम, लेकिन दर्द का इलाज भी,
जो टूटते हैं, उनके लिए आवाज़ भी।
-) मैं हूँ बदनाम, पर नीयत साफ़ रखता हूँ,
जो भी पास आया, उसे ही माफ़ रखता हूँ।
-) मैं हूँ बदनाम, क्योंकि मैं अलग हूँ,
झूठ की भीड़ में बस थोड़ा सच हूँ।
"हमारी वेबसाइट पर पढ़ें दिल को छू जाने वाली हिंदी बेस्ट शायरी, जो आपके जज़्बातों को खूबसूरती से शब्दों में पिरोती है।”
-) मैं हूँ बदनाम, फिर भी दिलवाला हूँ,
जिसको चाहा, उसे निभा देने वाला हूँ।
-) मैं हूँ बदनाम, मगर अपने लिए खास,
लोगों की सोच से कहीं ऊँचा मेरा पास।
-) मैं हूँ बदनाम, नाम नहीं काम से,
बातें बहुत हैं, पर पहचान है अंदाज़ से।
-) मैं हूँ बदनाम, मगर वजह तू थी,
ख़ुद को मिटा दिया, और शोहरत तू थी।
-) मैं हूँ बदनाम, फिर भी बेख़ौफ हूँ,
सच की राह पर चलने वाला सौफ़ हूँ।
-) मैं हूँ बदनाम, तेरे जिक्र की तरह,
हर जुबां पर हूँ, तेरी फिक्र की तरह।
-) मैं हूँ बदनाम, कुछ तेरे कारण भी,
वरना लोग तो मुझे फरिश्ता कहते कभी।
-) मैं हूँ बदनाम, फिर भी अकेला नहीं,
मेरे साथ मेरी सच्चाई है कहीं।
-) मैं हूँ बदनाम, और यही मेरी क़ीमत है,
सस्ती नज़रों में नहीं, ऊँची हिम्मत है।
-) मैं हूँ बदनाम, फिर भी अफ़साना हूँ,
जिसे दुनिया मिटा न सकी, वो दीवाना हूँ।
"हमारी वेबसाइट पर प्रस्तुत की गई "हिंदी बेस्ट शायरी" आपके दिल की गहराइयों को शब्दों में पिरोकर, हर एहसास को खूबसूरती से बयां करती है।
~~~आराध्यापरी~~~
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