'sad shayari in hindi' :- "टूटे दिल की खामोशी को शब्दों में ढालने के लिए हमारी वेबसाइट पर पेश है गहराई से भरी 'sad shayari in hindi', जो हर एहसास को छूती है और दर्द को बयां करने का सच्चा माध्यम बनती है।”
-) तेरे नाम का क्या ख़ूब असर है ,
मुझे याद करते हैं लोग अक्सर तेरा नाम लेकर ।।
मैं कभी मंद मंद मुस्कुरा देता हूं,
इतने प्यार से पुकारा जाता है तेरा नाम मैं दुनिया भुला देता हूं ।।
-) सौ गज जमीन से मेरा मन कभी जीते जी भर नहीं ,
मैं जिंदगी भर इसी कशमकश रहा,
और हमेशा इससे ज्यादा चाहता रहा,
सब अपना करता रहा ।।
लेकिन एक एहसान यह करना केवल दो गज जमीन को मेरे नाम करना ,
सुकून के पल देना हो सके तो उसपर एक पीपल की छांव करना,
फिर मुझे इस जहां से जुदा करना ।।
-) आखिरी वक्त जब भी हो तो पास केवल तुम बैठना,
मुझे मुस्कुरा कर विदा करना ,
तुम्हारे बाद सफर बहुत कठिन है ।।
दुआएं करना मेरा रास्ता सुगम करना ,
तुम आंखों में आंसू ना भरना ,
बाकी फिर मुस्कुरा कर मुझे ख़ुदा के नाम करना ।।
-) तबीयत यु भी थी हमारी,
चेहरे की हंसी सब गमों को छुपाती थी ।।
किसी को सुकून है क्या कहीं,
फरेब था हंसते चेहरे का,
जो रंजिशें को छुपा कर रखती थी ।।
-) न जाने क्या-क्या पा लिया ,
कितना कुछ मिटा लिया,
जाने पर यह सब साथ तो ना होगा ,
मोह माया का यह नाता इस जन्म के बाद ना होगा ।।
-) यह भी बता किस हाल में तुम हो ,
जानो हाल मेरा फिर यह बताओ क्या इससे बेहतर हाल में तुम हो ।।
खुले आसमान में अब पंछियों की सूरत भी नहीं,
क्या तुम भी क़ैद पंछियों से लगते हो ।।
-) अदब से पेश आना भी क्या जुर्म है,
तहजीब के रंग में रहना भी क्या जुर्म हैं।।
अपनी मेहनत की कमाई पर ईतराना भी क्या जुर्म है,
अपने निस्वार्थ को ना रखना भी क्या जुर्म है ।।
-) मौत तेरे ना आने से हम खफा हैं,
हमें इतना तरसाने से हम खफा हैं,
तुझे ना जाने कब से तलाश रहे थे ,
विश्वास था आयेगी तू वक्त पर ,
देर से आने से हम खफा हैं।।
-) हो सके तो उनके आने से पहले हमें ,
दो ग़ज ज़मीन में दफ़न करना ।।
उनकी हर बात को मैंने सिर आंखों पर सजा रखा है,
जो अब के वह कुछ बोले और मैं सुन ना पाऊं,
तो उनकी तौहीन होगी ।।
-) मौत के पहलू से कौन बचा ,
इसके ठिकाने से कौन बचा हैं।।
बस पल दो पल की आँख मिचौली हुईं थी ,
इसके साथ इससे ज्यादा कौन रहा हैं।।
-) कर कुछ इंतजाम कैसे सफ़र कटेगा ,
मन भटकेगा फिर कैसे मन लगेगा ।।
राहें ख़ाली पड़ी हैं क़यामत कि,
हो मर्ज़ी तेरी तो मेरा ठिकाना यहीं बसेगा ।।
-) ज़रा जरा पे तुम उबाल आते हो ,
ये बताओं किसके दम पर इतराते हो ,
हम भी बादशाह थे कभी यहां के ,
तुम्हारे जैसों से कप उठवाते थे ।।
बात करते हैं संयम कि ये ,
हम जो रौद्र रूप को अपनाते थे।।
-) तुझे तलाशता कोई आशिक तेरे शहर में आ गया ,
देख के हाल यहां का वह इस जहां से जुदा हो गया ।।
-) तू दिल ही नहीं जान पे हक़ जताया कर ,
हमने ख़ुद से पहले तुझे रखा हैं।।
-) ये आजकल के बच्चे ना जाने क्या चाहते हैं,
हमें सिखा रहें है ये दिल लगाया जाता हैं ,
मोहब्बत को अपनाया कैसे जाता हैं,
ये जिस्म के भूखे क्या जाने ,
बग़ैर छुअन का प्यार ,
दूर से निहारने का ,
मर्यादाओं में बंधे रहने का प्यार ।।

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-) हम अपनी सी करने लगें ,
तो कुछ अपने हम से अलग हटने लगे ।।
ये भीं कैसी ज़ुस्तज़ु हैं,
हम अपने हक़ के लिएं आगे बड़े और अपने ही पैर खींचने लगें ।।
-) सिंहों सा राज़ हैं,
इस जंगल में हमारा ।।
हम जो फिज़ा से कहें ,
तो वह अपना बहाव बनाएं रखती हैं,
हम जो थमनें का कहें तो ये थमनें लगती हैं ।।
-) हमें अपनी ही महफ़िल से निकालने की साज़िश की जा रही,
जिस गद्दी के बादशाह थें,
उसी से हटाने की कोशिशें की जा रही,
इंसानों के चाहने से भीं क्या होता हैं,
जो भाग्य में होता हैं वो ही सच होता हैं ।।
-) ज़िंदगी एक अजीब मोड़ पर आ खड़ी हैं,
दो रास्तें नज़र तो आतें हैं,
लेकिन दोनों हीं मेरी तबाही का मार्ग जान पड़ते हैं,
इनपर चलके जाऊं या ठहर जाऊं ,
ज़िंदगी तो ख़त्म सी लगती हैं ।।
-) तू जो आने का वादा कर गया था ,
उस वादें पर कोई मेरे जैसा ठहर गया था ,
इन वादें वफ़ा की बातों पर गौर मैं बहुत करता हूं ,
तू अपने वादें से मुकर गया मैं उसी जगह पर ठहर गया था ।।
-) माना कि हम में अब वो अदाएं नहीं ,
औरों को हंसाने वाली वो बातें नहीं ।।
अब केवल ये फ़न हैं कि हम बातें साफ़ - साफ़ करतें हैं,
किसी को बातें अच्छी लगे या बुरी लगें हम तो केवल यही बात करतें हैं।।
-) हम ख़ुद के अंदाज़ को बयां ही नहीं कर पाएं ,
जिस अंदाज़ ए बयां को वो चाहता ख़ूब था ।।
वो दो पल ठहर जाने का इरादा कर आता बस ,
वो जो कुछ चाहता मैं उसके मन का कर आता फ़िर।।
-) माना कि मैं बिछड़ रहा ख़ुद से ,
शायद ये भीं करम हैं अपने ही किसी के ,
वरना हम से हम को छीन ले इतनी हिमाकत नहीं हैं औरों की ।।
-) अभी - अभी तो ये किरण जागी हैं उम्मीद की ,
उसके पहले तो सब ना उम्मीदिं पर था ।।
हम कुछ ना पर पाएं तो भी अब ग़म नहीं ,
हमनें एक ऊर्जा का स्त्रोत भर तो दिया हैं ।।
-) हमसे तहज़ीब से पेश आ ,
हम वो नहीं जो अपनी अना भुला चुकें हो,
हम ग़लत को सच कहना का हुनर रखतें हैं,
इसके सिवा हम अपनी हर बात को सच रखतें हैं ।।
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-) फिजाएं जाने क्यों बहक रहीं हैं,
जाने किसने इन्हें तेरे आने की ख़बर दे दीं ।।
-) मौसम रंग बदलने लगा ,
इंसानों की कला इसने कब सीख लीं ।।
कितने रंग इंसान के हैं,
जान कर ये भी हैरतअंगेज हैं ।।
-) रिमझिम बूंदें बरसने लगीं ,
मन मेरा महकने लगा ।।
माटी की संधि ख़ुशबू से ,
नयापन हममें आने लगा ।।
-) कभी चांद के दीदार से ,
चकोर को इठलाते देखा हैं ।।
हमनें जब तुमको देखा ,
तो ऐसा हीं हमको लगने लगा ।।
-) तू नहीं तो जी चाहता हैं,
तेरे शहर से भीं कूच कर जाएं ।।
तेरे बग़ैर यहां अपना भीं कोई नहीं ,
इस से बेहतर हैं किसी अंजान शहर को आजमाने लग जाएं ।।
-) अब तो सबकुछ छोड़ जाने का जी करता हैं ,
अपनी कहानी मिटाने को जी करता हैं ।।
वैसे भीं हम में पहले जैसा कुछ बचा नहीं ,
एक तो तू भीं नहीं ये सफ़र बीच राह में छोड़ जाने को जी करता हैं ।।
-) हम कैसी आग़ में जल रहें हैं,
इसकी लौह से हम नहीं और सब पिघल रहें हैं।।
कुछ तो ये मौसम भीं आग़ बरसाने वाला ,
कुछ हम भीं इसमें इसके जैसे जल रहें हैं ।।
-) सुना हैं वो जो हमारा था कभीं,
उसने बग़ावत हमसे छेड़ दी हैं ।।
पहले कोई राज़ी ना था हमारे खिलाफ़ गवाही देने को ,
मेरे हमदम ने मुझे मिटाने की पेशकश पेश की हैं।।
अगर वो ये चाहता हैं तो उसे मेरे सामने लाओ,
और कोई मुझे क्या मारेगा,
उस से कहो वो मेरा गला दबाएं,
और सबकुछ ये ख़त्म कर जाएं ।।
-) हाल ना ले मेरे शहर का आशुतोष,
यहां तेरे नाम की फिजाएं तक क़ैद हैं ।।
तू कोशिश भीं ना करना यहां आ जाने की ,
तेरे क़दम पड़ते हीं ज़मीन तुझे निग़ल जाना चाहती हैं ।।
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~~आशुतोष दांगी
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