Hindi best shayari-: "हिंदी शायरी" शब्दों के माध्यम से दिल की गहराईयों को व्यक्त करने की एक अद्भुत कला है। यह शायरी न केवल भावनाओं का संप्रेषण करती है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और साहित्य की समृद्धि को भी दर्शाती है। हमारी वेबसाइट पर प्रस्तुत की गई शायरी संग्रह में प्रेम, दर्द, दोस्ती, जीवन और प्रेरणा जैसे विविध विषयों पर आधारित शेर और ग़ज़लें शामिल हैं, जो पाठकों को भावनात्मक रूप से जोड़ने का कार्य करती हैं। यह शायरी संग्रह न केवल शब्दों की सुंदरता को प्रदर्शित करता है, बल्कि यह पाठकों को अपने अंदर की भावनाओं को समझने और व्यक्त करने की प्रेरणा भी देता है।
-) हम बदनामी के डर से परेशान नहीं थें,
ग़म ये हैं कि उसका नाम सरेआम ना हो ।।
जो हम पे गुजरी उस से हम गुज़र जाएंगे ,
उसके दामन पे दाग तनिक भी ना हो ।।
-) एक उम्र लगती हैं समझने में यार को ,
लोग चंद मुलाकातों में बता देते हैं बेवफ़ा यार को ।।
उन्हें मालूम ही नहीं क्या हैं मसला ,
वे बस उलझा देते हैं बात को ।।
-) तेरे बग़ैर जाने कैसी गुजरी ,
जितनी गुजरी बड़ी बुरी गुजरी ।।
हमें मंज़ूर ना थी ये यातना दिल की ,
बड़ी ख़राब हालत थी दिल की ।।
-) किसे मंज़ूर बिछड़ना यार का ,
बिछड़ने के बाद ग़मो का सौदा हैं ।।
तन्हाइयों का आलम हैं,
सफ़र का अंजान रास्ता हैं।।
-) उसके बग़ैर दिल कैसे लगेगा ,
लग भी गया तो क्या पहले जैसा रहेगा ।।
हम सरेआम बदनाम भी होंगे ,
और नाम क्या फ़िर पहले जैसा रहेगा ।।
-) ज़िंदगी की तलाश में हम ना जाने कहां आ गए ,
लगे ऐसा हाथ में जाम लेकर हम जन्नत में आ गए ।।
-) मौत तेरे आने से पहले ,
जो उसकी गोद में सिर रखा जाएं ,
तो क्या बात होगी ।।
जीते जी जन्नत होगी ,
फिर मरने की आस ना होगी ।।
एक तड़प होगी,
और क्या ख़ूबसूरत हमारी मौत होगी ।।
-) उसे देखकर गज़ल ने अपना रूप ले लिया,
जो हक़ीक़त में मुमकिन ना होती ,
वैसी ही शक्ल ले ली ।।
मैं बस ख़्वाबों को लिखता था ,
लगे ऐसा ख़्वाबों की बात ख़ुदा ने गंभीर ले ली ।।
-) ये तमाशा सरेआम करने को जी चाहता हैं,
उसके नाम दिल लिखने को जी चाहता हैं।।
और तो कुछ हैं नहीं पास मेरे,
बस अपने आप को उसे समर्पण करने को जी चाहता हैं।।
-) ये बातें भी सरेआम कर ,
मेरे होने का एहसान कर ।।
बदनाम किया हैं ताउम्र ,
कुछ क्षण के लिए मेरा नाम कर ।।
-) तेरे बाद ये क्या हुआ ,
मेरे जैसा पागल हुआ ।।
कहते हैं लोग ये पहले मैं ही था ,
पूछा तेरा नाम तो ये पक्का हुआ ।।
तेरे नाम का दीवाना ,
अब बेगाना हुआ ।।
-) नज़र ने नजराने क़ैद कर लिए ,
इन्हें नजरों से उतारकर पन्नों पर कैसे पेश करें।।
हम हक़ीक़त से वाक़िफ ना थें,
अपनी बेगुनाही का सबूत कैसे दें ।।
-) कुछ आसमान नूर बरसाता रहा ,
कुछ कुर्बत अपनों ने कर दी ।।
कुछ ग़मों ने घेर लिया ,
कुछ किस्मत ने अपनी कर दी ।।
-) मेरे हिस्से में वो आ गया ,
जो ख़ुदका ही ना हुआ ।।
मैं अपनी सी करता रहा और वो ,
मेरी हा को ना करता रहा,
और फ़ैसला हम दोनों का ही ना हुआ ।।
-) कुछ अपनों के ग़म हैं,
जाने में जाने कितनी उम्र लगेंगी ।।
एक उम्र तो गुज़ार दी याद में उसकी ,
दूसरी उम्र में जाने कितनी साल लगेंगी ।।
-) पहलगाम की वादियों में शांति खो गई,
खून के धब्बे, खुशियों की रोशनी सो गई।
-) जहाँ बहती थीं नदियाँ, अब दुःख की कहानी है,
पहलगाम में छाया, मातम और वीरानी है।
-) वीरों की धरती पर आज मातम छाया,
दगाबाजों के हमले ने सबको रुलाया।
-) चुप हैं फूल, सुनसान है बाग़,
पहलगाम में सन्नाटा, असहमति का धागा।
-) हर बूँद खून की गवाही देती है,
पहलगाम की ज़मीन अब अज़ाब जिएगी।
-) शहीदों की कुर्बानी, अमर रहेगी,
पहलगाम की धरती पर शांति फिर से आएगी।
-) दर्द का अंधेरा, मन में ढल गया,
पहलगाम की हवाओं में आज खून बह गया।
-) जिक्र है उनके साहस का, जो जिए थे वहाँ,
पहलगाम की वीरता का, है जोश नया।
-) कश्मीर की आँखों में आँसू हैं बहे,
पहलगाम की वादियों में हर्ष कभी न रहे।
-) शांति की आस में, ढूंढते हैं राहें,
पहलगाम के दिल में, जख्म अब भी गहरे हैं।
-) किसने सोचा था, ये दिन आएगा,
पहलगाम की खुशियों पर, खून से लिखा जाएगा।
-) बर्बादी का मंजर, आँखों से मिटा नहीं,
पहलगाम की धूप में, साया कोई छिपा नहीं।
-) जिनके दिल में बसी थी, सुबह की किरण,
पहलगाम की रात में, खो गई सब करन।
-) ठंडी हवाओं में, छुपे हैं राज़ बहुत,
पहलगाम के जंगलों में, दर्द की आवाज़ बहुत।
-) हर एक ग़ज़ल में, जख्मों की कहानी है,
पहलगाम की वादियों की, सिसकती फ़ज़ा है।
-) टुकड़े-टुकड़े हैं सपने, बिखरे हुए जो हैं,
पहलगाम की राहों में, अब वीर बहादुर रो रहे हैं।
-) कुर्बानी का जज़्बा, जोश में दबा नहीं,
पहलगाम का हर दिल, आज भी खड़ा नहीं।
-) ख़ामोशी के दरम्यान, गूंजे हैं जज्बात,
पहलगाम की मिट्टी में, बसी हैं उम्मीदों की बात।
-) रंगीनियत भरी थी, जो खुशियों से पहले,
पहलगाम में अब बस, अँधेरा है और डर है।
-) सच्चे वीरों की याद में, किसानों का धरना है,
पहलगाम की मिट्टी में, सिसकियाँ सहमी हैं।
-) आओ मिलकर याद करें, उन बहादुरों को,
पहलगाम की जगहों पर, बिछे थे जो छोड़कर।
-) हर पेड़ की छाँव में, गूंजेगी हाय रे,
पहलगाम के अंगारों में, बसती हैं यादें सदा।
-) संगीन तस्वीरों में, यादें हैं बसी,
पहलगाम की धरती पर, है कश्मीरी कहानी खास।
-) अलविदा उन लोंगों को, जो दे गए जान,
पहलगाम की सुरक्षित राहें, बना दें सबको मान।
-) विजयी झंडे लहराएंगे, जो शहीद हुए हैं,
पहलगाम की मिट्टी में, उनकी गूंज सदियों तक रहेगी।
~~~आराध्यापरी~~~
Post a Comment