sad shayari in hindi :-"ज़िंदगी के हर मोड़ पर जब दर्द हमसफ़र बन जाए, तब हमारे पास है sad shayari in hindi — जो दिल को सुकून और अल्फ़ाज़ दोनों देती है।"
-) मेरे जाने के बाद उसका ख्याल रखना ,
उसके आंखों से सागर बहेगा,
बस उस सागर से बचना,
वो सबकुछ तबाह करने को आतुर होगा ।।
मेरे ना होने पे जो उसका हाल होगा,
वो किसी और का ना होगा ।।
जो कभी बिखरते नहीं ,
उसके बालों का भी फिर ना जाने कैसा बुरा हाल होगा ।।
जिन आंखों कि ख़ूबसूरती काजल बनाता हैं,
फ़िर ना जाने वो भी कैसा फ़ैला होगा ।।
बड़ी खूबसूरत हैं पूर्णिमा के चाँद सी उसकी सूरत,
मेरे ना होने पर वो भी ग्रहण सा होगा ।।
-) हम इश्क़ के दहलीज की आख़िर हद थे,
इसके बाद बस बेबस थे ।।
हम इश्क़ को मज़हब,
और तुझे धर्म समझते थे ।।
हम कैद में रहकर भी ख़ुद को महफूज समझते थे,
वे खुले आसमान में भी ख़ुद को कैद समझते थे ।।
-) वे इश्क़ के मक़सद से नज़र आएं ही नहीं ,
हमने इश्क़ के सिवा कुछ सोचा ही नहीं ।।
उन ने वफ़ा का इरादा किया ही नहीं ,
हमने वफ़ा के आगे कुछ सोचा ही नहीं ।।
-) उसका हाल सोच के भी हमारी रूह कांप जाती हैं,
जाने मेरे जाने के बाद क्या उसका हाल होगा ।।
जो नादानियां करती हैं मेरे सामने ,
जाने फ़िर वो ज़माने से समझदार सी होगा ।।
-) उनके गालों कि चमक को भूलेंगे कैसे ,
उसके पंखुड़ियों से होंठों को ,
फिर निहारेंगे कैसे ।।
हम जो उसको देखें बिना एक पल रह ना रह पाते हैं,
जब वो होगा नहीं तो जाने हम जिएंगे कैसे।।
-) अब तो रब से ये दुआं करें,
जो हासिल हैं बस उसी में खुश रहा करें ।।
कुछ और मांगने कि अब इच्छा नहीं ,
जितना हैं उसी में उम्र को बिता दें ,
अपने आप को ख़ुदा के हवाले करें ।।
-) ये भी क्या कमाल हैं कुछ तो कर आएं हैं,
वो जानता भी नहीं उसके नाम ,
अपना अब कुछ भी बचा,
एक दिल और उसकी हक़ीक़त ,
सब उसके नाम कर आएं हैं।।
-) हम घर को भी अपने जेहन से ना निकाल पाएं ,
और लोगों ने हमें अपने दिल में भी रखना मेहफूज ना समझा ।।
हम उनको ही बस याद करते रहें,
और उन ने हमें सबसे पहले भुला दिया ।।
ये दौर ये वक्त अब ना जाने किस डगर ले जायेंगे,
चले थे जिस फिजा के साथ अब तो लगता हैं उसके विपरीत ही हो जाएंगे,
अब हम पतन का रास्ता अपनाएंगे सब कुछ यहीं छोड़ जाएंगे ।।
-) वो रोता ही रहा आंख भरके ,
वो इस उम्मीद में था कि में पीछे मुड़कर देखूंगा जरूर ।।
जो मैं देख लेता एक नज़र फिर कहर बरसता इस कदर ,
भरी आंखों में फिर मंज़र तबाही का समा जाता ,
मैं अपने आपे से बाहर आ जाता विनाश को फैला जाता ,
आंखे फिर लाल होती आबादी फ़िर ना पास होती ,
सब ही फ़िर दूर होता मैं मनुष्य ना होकर नरभक्षी होता ।।
यह सब तबाही का अलम होता ,
शायद इसीलिए मैं उसकी उम्मीद तोड़ आया ,
मैं उसे रोता ही छोड़ आया ।।
-) वो चाहता ही नहीं हैं कि मैं अंदाज़ को अपने बरक़रार रखूं,
मेरे अंदाज़ ए बयां में नर्मी कहां ।।
वो मानता अहिंसा को मेरे जेहन में हिंसा के सिवा कुछ नहीं ,
वो बातें करता नरम मिज़ाज कि,
मैं और नर्मी ये बातें मुझे लगती हैं बस मजाक कि।।
-) रास्ता उसकी गली का बदल दिया मैंने,
जब से उसने नजरे चुराना शुरू किया ।।
मैं मोहब्बत को फना कर ही आया ,
जब से उसने बिछड़ने का इरादा किया ।।
वो चाहता कैद दीवारों में रहना कहीं ,
मैंने उसके पंख बनने का इरादा किया ,
कहां से लाएं मुर्दे में जान ,
उसने मुर्दा बने रहने का जब इरादा किया ।।
-) हमसफ़र यूं भी अच्छा नहीं होता ,
जी हजूरी करने वाला अक्सर अच्छा नहीं होता ।।
पत्ते कितने भी बढ़ जायें साख से ,
उनका औदा साख से बड़ा नहीं होता ।।
-) किसी कि याद बन रहें हो ,
क्या कमाल बन रहें हो ।।
जो दिखता था मुझे मेरे रब जैसा ,
उस से भी लाज़वाब बन रहें हो,
तुम हक़ीक़त में मेरे यार बन रहें हो ।।
-) नज़र के तीर चलाने वाले भी अब ,
नज़रों से बच रहें हैं।।
हम नज़र मिलाने से डरते थे कभी ,
अब वो भी हमसे नज़र मिला रहें हैं ।।
घायल करने के इरादे से उतरें थे वे ,
अब मरीज बनके मिल रहें हैं ।।
-) खैर छोड़ो उनकी बातें,
रब ही जाने उनकी बातें।।
जो उलझा लेते थे हमें कभी ,
अब कर रहें हैं
ना जाने कैसी बातें।।
बड़ा गुरुर हैं उन्हें अपने आप पर ,
चलो कर लेते हैं फिर तुम्हारे जैसी बातें।।
-) कुछ अधूरी कहानियों को ख़त्म कर लें ,
आज मोहब्बत की रस्मों को हम अदा कर लें ।।
और तो कुछ हो सकता नहीं ,
एक मुलाक़ात हम चाय पे रख लें
-) बड़े अदब से पेश आने लगें हो ,
हमारे जाने का ग़म सताने लगा क्या ।।
इस बात से बेफिक्र रहों जान मेरी तुम,
मैं तुम्हारें हक़ का फ़ैसला हूं ,
यूं हीं नहीं बदलूंगा ।।
-) उसकी हिफ़ाज़त करना हीं फ़र्ज़ हैं,
उसका हीं बन जाना फ़र्ज़ हैं ।।
ग़ैर तो कुछ नहीं हैं उसके होनें से ,
उसको ताउम्र सजा के रख लेना फ़र्ज़ हैं ।।
-) हम भीं कहां रेगिस्तान में सावन ढूंढ रहें हैं,
पतझड़ में नई पत्ती को खोज रहें हैं ।।
ये मन हीं ऐसा हैं,
जो होता हैं उसपे विश्वास कर नहीं पाता ।।
-) डरें हुएं से हम हैं,
सहमे हुएं से हम हैं ।।
जो बीती ऐसी रात हमारी ,
हमनें जान बचाईं बस हैं ।।
-) वो आएं थें मुझे लेने ,
सफ़ेद चोला ओढ़े हुएं ।।
मैंने मौत को भीं मात दे दी ,
आवाज़ उनकी जब मेरे कानों में पड़ी ।।
-) ये मंज़ूर नहीं कि कोई हमारे हक़ के फ़ैसले में दख़लंदाज़ी करें ,
जो हमारा हैं उसपर किसी की निग़ाह भीं हो तो हमें मंज़ूर नहीं ।।
-) बातों के फ़रेब में ना आइयें,
झूठी बातों का दौर चल रहा हैं ।।
किसी की बातों का विश्वास भीं क्या करें,
आत्मघातों का दौर चल रहा हैं ।।
-) तेरे चेहरे को देख कर,
चांद शर्माने लगें ।।
उदास फिज़ा खिलखिलाने लगें,
तू जो चाहें तो पत्थर की मूरत को ख़ुदा कर दें,
तू जो करें मुर्दे को जिंदा कर दें ।।
-) बात ये भी सरेआम हो जाएं ,
तेरे जैसा कोई मेरा हो जाएं ।।
किसी और की तलब करता भीं नहीं,
बस तू मेरी तलब हो जाएं ।।
-) वो एक नादान परिंदा हैं,
आसमान बेहद ख़ूबसूरत नज़र आता हैं उसे ।।
वो हक़ीक़त से वाक़िफ नहीं ,
नादान परिंदों के यहां उड़ान भरने के पहले,
पर काट लिएं जातें हैं ।।
-) आसमान भीं नहीं चाहता कि सब ,
इस क़दर बेख़ौफ़ उसकी सैर करें ।।
कुछ तो उसकी भीं अना हैं ,
की सब अपने दायरें में रहें ।।
-) माना सब एक जैसा नहीं रहता ,
मग़र ये क्यों नहीं रहता आज जाना ।।
हालात के साथ इंसान का बदल जाना जरूरी हैं,
जो नहीं बदलते हैं उन्हें वक़्त बदल देता हैं,
और वक़्त जिन्हें बदल देता हैं उनका कुछ नहीं होता हैं ।।
-) तुझसे मिलना क्यों ज़रूरी हैं,
ये हम तो नहीं जानते ।।
मग़र तुझसे मिलना ज़रूरी हैं,
तेरे सवालों का जवाब हमें मालूम नहीं कि क्यों ,
मग़र तुझसे मिलना ज़रूरी हैं ।।
-) मेरे मेहबूब तुझसे मोहब्बत हो गई हैं हमको ऐसी ,
जैसे मंदिर में रखी मूरत से मोहब्बत हो जाती हैं,
उसके कद्रदान को ।।
-) हम सोच भीं ना पाएं ,
वो जाने क्या कर गएं ।।
ये मुमकिन ना होता कभी,
वो नामुमकिन से काम को मुमकिन कर गए ।।
वो एक लंबे सफ़र का रास्ता ,
अकेले तय कर गएं ।।
-) वो जब दस्तक दें तो अपनी पलकों को झुका लेना,
उसे आंखों में बसाने का इरादा हो तो ,
पहले ख़ुद को भुला लेना ।।
वो रंगत पूर्णिमा के चांद सी ,
हस्ती खिलखिलाती मुस्कान पुष्प की ।।
सरसों सी लहलहाती वो ,
ग़ुलाब की चिटकल सी खिल जाती वो ।।
-) माना कि अब हम जैसे बहुत हैं ज़माने में ,
लेकिन हम तो केवल हम हीं बने ,
हम जैसे होंगे हज़ार लेकिन हम नहीं ।।
-) तू कहें तो कुछ कर जाएं ,
नए दौर की बातें लिख जाएं ।।
पुराने दौर के शातिर खिलाड़ी हम ,
फिरसे शतरंज की चाल चलनें लग जाएं ।।
-) उसकी सलामती की दुआ चाहता हैं दिल ,
और तो कुछ नहीं बस उसे ही चाहता हैं दिल ।।
हालात चाहें कुछ भीं बदलें ,
सलामत रहें वो बस इतना सा चाहता हैं ये दिल ।।
"अगर ज़िंदगी हर रोज़ एक नया दर्द देती है, तो हमारी sad shayari in hindi हर दर्द को अल्फ़ाज़ देने का हुनर रखती है।"
~~आशुतोष दांगी
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