Heart break shayari-:
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-) तेरे ना आने से हम ख़ुद को भूल रहें है,
लगता ऐसा हैं जैसा शरीर से सांसों का रिश्ता तोड़ रहे हैं ।।
वो जो याद करके तुझे ख़ुदा के घर गया ।।
-) तेरे द
-) बड़ी बेहकी सी बातें कर रहें हो ,
मिल हमसे रहें हों ज़िक्र जाने किस का कर रहें हो ,
सच बताओं आशिक़ी हमसे हैं या बस खेल कर रहें हो ।।
-) तेरी यादों का एक समंदर सजा रखा हैं मैंने ,
गोता खाता रहता हूं इसमें इसको ही मंज़िल बना रखा है मैंने।।
-) छेड़ ना सरगम बिछड़ने वाली ,
ये दिल सब सुनके बैठ जाता हैं ,
ज़िंदगी हार जाता हैं ,
फिर सब तबाह कर देना चाहता हैं ।।
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-) किसी रोज़ हम भी बैठ के तुझे लिखेंगे ,
अफ़साने लिखेंगे तुझे बेवफ़ा कहेंगे ,
दिल और जान कहेंगे फिर तुझे बदनाम कहेंगे ।।
-) दर्द इतना बड़ ही गया ,
मिलन के मौसम मैं बिछड़ ही गया ,
निभाई थी कसमें जिसने ताउम्र रहने कि वो अधूरे सफ़र में जाने कहां
गया ।।
-) तुझे मुक्कमल इश्क़ लिखता था जो ,
अब वो जाने दरियां को तकता हैं ।।
कुछ अल्फ़ाज़ लिखता हैं कुछ तुझे बयां करता हैं ,
बेवफाओं को भी वो क्या ख़ूबसूरत हुस्न लिखता हैं।।
-) किसी ने पूछा ना फ़िर उसका ,
जो सबकी खबर रखता था ,
उसे बदनाम बहाल कर ही दिया ,
जो सबकी नज़रों में रहा करता था ।।
-) टूटे दिल का पता ना पूछ कोई आशिक़ यहां अब नहीं ,
जो था तुझे चाहने वाला अब वो आशिक़ नहीं ।।
-) तेरे रंग का असर हैं वरना हम तहजीब से परेह कभी हुएं नहीं,
अब जो रंग तेरा चड़ा इस रंग ने फिर हमें कभी बख्शा नहीं ।।
-) किसी नज़र ने चैन खोया था एकपल में ,
अब हरपल उसी नज़र को खोजते हम हैं ।।
-) टूटे दिल से रिश्ता चाहते हो तुम ,
बग़ैर सावन के बारिश चाहते हो तुम ,
ये मुमकिन नहीं अब क़िसी भी तरह ,
हम विरह में बैरागी होना चाहते हैं ।।
-) कभी तुम ने वादा किया था ना बिछड़ने का ताउम्र,
हम ज़रा सा क्या इठलाएं तुम ताउम्र का वादा एकपल में छोड़ आएं ।।
-) हमसे इश्क़ इतना आसान भी नहीं ,
हमस़फ़र बनने में पर्वत सा दुर्गम साथ हमारा हैं,
समंदर सा तूफ़ान हमने भी सीने में छुपा रखा हैं।।
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-) एक पल में उम्र ये गईं सारी के सारी ,
हम सोचते रह गएं कि ये क्या हो गया ।।
ख़ुदको हम अभी जवां समझ रहे थें,
बुढ़ापे हमको हवा फ़िर दे ही दी ।।
-) अब के मौसम में बिजलियां कम गिरी,
लगता है बादलों में बात बनने लगीं ।।
पहले ये भी झगड़ते थें रात दिन,
अब के ठंडक इनमें भीं रहने लगी ।।
सोचकर अपना घर ये चलाने लगें,
उम्र यूं ही लड़ाई में गुजरती नहीं ।।
-) तू जो आएं कभी सामने ओ जान ए जा ,
तुझको बताएं तू क्या हैं सनम ।।
हमारी आंखों की नींद ,
और दिन का चैन है तू सनम ।।
ना नज़र आएं तु तो
दिल डरने लगता हैं ।।
तुझको संजो कर रखले हम एक ख़्वाब की तरह ,
तू हमारी ज़िंदगी आख़िरी आस हैं सनम ।।
-) भूलने वालें ये भीं बता दें हमें ,
ख़ता क्या हम से हुईं ऐसी कुछ ।।
तुझको चाहने के सिवा कुछ ना कर पाएं हम ,
तुझको चाहने की सज़ा है क्या ये कुछ ।।
तू हमारे दिलों में आबाद हैं,
हम हो रहें हैं बर्बाद तेरी यादों में कुछ ।।
-) हमसे दूर जाने की बातें ना कर ,
तेरी यादों में दिन रात झुलें मेरा दिल ।।
और तो कुछ ये मुमकिन नहीं ,
की भूल जाएं तुझको हम यूं हीं ।।
ज़िंदगी की बागडोर है हाथ तेरे मेरी ,
तू जो छोड़े इसे तो मर जाएं हम ।।
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-) हम तेरी जुबान को बहुत ख़ूब समझते हैं,
इसकी कड़वाहट को प्रेम समझते हैं ।।
लोगों ने नकारा जिसे ,
हम उसे आने वाले कल का नायक समझते हैं ।।
-) दूर गगन में यूं उड़ जाएं मन मेरा ,
ना सीमा कोई हो, बादलों के पार ले जाएं मन मेरा ।।
हम ख़ुद को ऐसे आज़ाद करें ,
फ़िर क़ैद ना हो जन्मों तक ।।
जीवन को जी लें हम
फ़िर ख़ुद खो जाएं आसमां में कहीं ।।
-) एक रोज़ ये बात हुईं,
हम जैसा कोई नहीं ।।
फ़िर हम भीं इतराने लगें,
की हम जैसा कोई नहीं ।।
हर बात को अच्छी समझना,
ये भीं ग़लती इंसानों की हैं,
सीने में खंजर दे मेरा इन ने ,
और कहां अब तुम्हारें जैसा भी कोई नहीं ।।
-) चेहरे से नक़ाब उतारने लगे वो,
ललाट पे जुल्फ़े संवारने लगे वो ।।
आँखें अब बात और भी ज़्यादा करने लगी,
जो नक़ाब को चेहरे से हटाने लगे वो ।।
यूं तो ख़ूबसूरती उनकी आँखें बयां कर रही थीं,
नकाब जो हटा तो चांद से चमकने लगे वो ।।
-) दिल को थाम कर बैठ जाइए ,
पर्दे में रहने वाले अब महफ़िलों में आने लगें ।।
ज़ख्म गहरे हैं दिल के शायद ,
यूं पर्दे में रहने वाले सरेआम तो ना आते ।।
आंखों को देखकर हम जान गएं,
रात की नींद से दोस्ती नहीं ,
पलकों को भिगोया भीं खूब हैं ।।
-) ले चलेंगे ऊंची मीनार पे एक दिन ,
ख़्वाब को हक़ीक़त बना लेंगे हम एक दिन ।।
अभी माना कि कुछ हासिल नहीं हैं,
रख देंगे क़दमों में जहां तुम्हारे एक दिन ।।
-) माना कि हम कुछ नहीं हैं,
तेरे है ये क्या काफ़ी नहीं हैं ।।
कुछ तो बातें ज़माना हमारी बड़ी करता हैं,
पता इनको भीं इनकी मंज़िल का नहीं हैं ।।
-) तू रुठें तो तुझको हम मना लेंगे ,
अगर कुछ ना रहा बस में तो तुझको रब बना लेंगे,
हम वक़्त के मारों का हो भीं सकता हैं क्या ,
रूठा सनम मानें इसी में ख़ुद को ख़ुश कर लेंगे ।।
-) गली गांव छोड़ आया हूं,
मैं अपनी क़िस्मत का रुख मोड़ आया हूं ।।
इस बात से भीं मुझको फ़र्क नहीं ,
पहले क्या था मैं, अब क्या हो आया हूं ।।
-) शहर की बात झुठी हैं,
यहां हर बात झुठी हैं ।।
इंसानों की याद्दाश झुठी हैं,
उनकी सच की बात झुठी हैं ।।
हमारी आस टूटी हैं,
उनकी आस ही झुठी हैं ।।
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-) हम जो लिख रहें हैं,
जाने क्या कर रहें हैं ।।
किसी को आबाद ,
किसी को बर्बाद लिख रहें हैं।।
किसी के होश को मदहोश ,
किसी मदहोश को होश लिख रहें हैं।।
-) ये वादा हुआ था ,
बिछड़ेंगे हम कभीं ना ।।
वादें में फ़िर हुआ ये था ,
मौत कर सकती जुदा बस हमें ।।
उसे बिछड़ने की जल्दी थीं,
वादा वो तोड़ नहीं सकता था,
उसने मौत को गले लगा लिया ।।
-) एक वादें पे बैठा हूं तेरे,
उम्र घटती नहीं जाने जा ।।
तूने कहां था लौटूंगी में एक दिन ,
मैं बैठा हूं उसी दिन से ,
की लौटेगी वो एक दिन ।।
उम्र ढल रही हैं तो क्या कीजें सनम,
तेरे एक दिन की बातों में ,
मेरे कईं जन्मों की आस बैठी हैं ।।
मुमकिन ये बस कर जाना ,
की लौटेगी तू बस एक दिन ।।
-) उन्हें मिल गई होगी ,
मंज़िल नईं कोई ।।
कभीं थें जो हमारे ,
उन्हें छीन ले गईं मौत एक दिन ।।
हम बैठें थें चुपचाप सोच रहें थें
रूठ गया हमसे साथी हमारा एक दिन ।।
नाम आंखों ने पूछा फ़िर,
की कुछ कर सकतें हैं इसमें हम ।।
हम रोते रहें बस ,
कह ना सकें उनसे कुछ उस दिन ।।
-) हमनें पाने की उम्र में भीं,
सबकुछ खोया हैं ।।
बचपनें का सबब हमनें,
जवानी तक आजमाया हैं।।
लोग भूल जातें हैं किसी एक के जाने के बाद,
हमनें हर लम्हा उन्हें याद किया हैं ।।
~~आशुतोष दांगी
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