Hindi best shayari -: "यहाँ पर आपको मिलेगी 'हिंदी बेस्ट शायरी', जो आपके दिल की भावनाओं को सुंदर शब्दों में पिरोकर एक नई पहचान देती है।"
-) कुछ हुआ ही नहीं हासिल जाने इतनी उल्फ़तें क्यों कर बैठा हूं मैं ।।
प्यार के इस प्यारे मौसम में दिल तोड़ बैठा हूं मैं।।
मुझसे बातें ना कर ग़ैर की ,
अपने ही किसी से उलझ बैठा हूं मैं।।
-) माना कि हम इस दौर में नएं हैं,
मगर तैयारी पूरी कर आएं हैं ।।
सुना हैं नौसिखियें गलती कर बैठते हैं,
मग़र हम वैसे भी तो नहीं ,
तजुर्बे दारों के तज़ुर्बे से बेहतर हैं।।
-) वक़्त भी हमारा ना रहा ,
उस बेचारें को भी क्या दोष दें ।।
उसने अपनी आख़िरी हद तक कोशिश आजमाई,
उसे कैसे बुरें वक्त में रहने दें ।।
-) माना कि सबकुछ हासिल हैं,
उसके बग़ैर सब का क्या करेंगे ।।
उसके ना हो सके तो कैसी रहेगी जिंदगी ,
उसके बग़ैर मौत भी मौत ना रहेगी ।।
-) उसकी हिफाज़त फ़र्ज़ मेरा हैं,
मेरे बग़ैर मेरे जैसा कौन उसे देखता हैं ।।
सब उसे बुरी नज़र से देखतें हैं,
सबकी नज़रों से उसे छुपाने का फर्ज़ मेरा हैं।।
-) अब तो अपने किरदार से ,
जाने क्या झलकनें लगा हैं।।
जिस बात से उलझें हैं,
उसी में बस ख़ैर उलझनें लगा हूं,
अब तो पतन के रास्तें बस चलने लगा हूं ।।
-) इस उम्मीद पे हम आएं थें,
की कहीं तो सुकून की तलाश में आ बैठें ।।
मग़र निराश मुझको ,
तलाश ख़त्म ना करने का श्राप लग बैठा ।।
-) कहीं दूर इस ज़माने से परेह ,
एक आशियाना हमारा होगा ।।
उसपे किसी का कोई हक़ ना होगा,
जो होगा हमारा होगा ,
किसी और का कुछ ना होगा ।।
-) लगने लगा हैं अब कहीं रह गुज़र जाएं ,
अपने हक़ से ही दूर हो जाएं ।।
किसी की शौहरत पहले भी ना मंज़ूर थीं,
अब अपनी ही दौलत पे इतराने लग जाएं ।।
-) ये दौर बचपन गुज़र गया ,
अब ना जाने कैसे दौर में आ गएं ।।
गलतियों का सबब पहले मज़ाक था ,
अब पैग़ाम सजाएं मौत हैं ।।
-) हम अपनी करते रहें ,
औरों की मर्ज़ी से ना चलने की कसम खाते रहें ।।
हुआ ये कि फ़िर,
हम ख़ुद के क़रीब रहें ,
बाक़ी दूर जातें रहें ।।
-) मैं किसी का हुआ ही नहीं,
अपने पहले वाले अंदाज़ को भूला ही नहीं ।।
नज़र अंदाज़ करता रहा पहले ख़ुदको,
जब पानी सिर चढ़ा तो ,
खुदमें ख़ुद को पाया ही नहीं ।।
जब लगा कि अब आ जाएं उसी दौर में,
तो देखा कि किसी को करीब पाया ही नहीं ।।
-) मैं सब तबाह कर बैठा ,
किसी और से क्या उम्मीद करता ।।
अपनी हस्ती को मिटाकर,
नईं पहेली से ख़ुद को बनाने बैठा,
ना उम्मीद मिली ना मैं पहले जैसा ,
बस में तन्हा रह गया ,
इसी ग़म को साहिल कर बैठा ।।
-) दूर कहीं आसमानों में,
उसका चेहरा नज़र आता हैं ।।
वो होती जो क़रीब तो ,
मेरा मन शांत सा रहने लगता हैं।।
मैंने ख़ुद को मिटाया हैं,
क्रोधाग्नि में जो दिख जाएं वो तो सब शीतल हो जाता हैं।।
-) ख़ून के रिश्ते भी क्या ख़ूब हैं,
बग़ैर किसी रिश्ते के निभाएं जाते हैं ।।
जो दिल से बन जाएं उन रिश्तों को ,
किनारे पर बैठाएं जाते हैं।।
की समंदर में फिर भी गहराई कम हैं,
इन ख़ून के रिश्तों को समन्दर की दूर गहराइयों से भुनाए जाते हैं,
कांच के खिलौनों से शीश महल बनाएं जाते हैं।।
"आपकी हर भावना को शब्दों में बयां करने के लिए यहाँ पाएँ 'हिंदी बेस्ट शायरी', जो दिल को गहरी छाप छोड़ जाए।"
-) मौसमों का इलाज़ हम करनें लग जाएं,
ये जो बिगड़ गएं हैं इन्हें सुधारने लग जाएं,
कितना कुछ तो तबाह कर दिया हैं इन्होंने,
कुछ और क़सर रह गई हो तो हम बिगाड़ने लग जाएं ।।
-) मुझसे ये ना पूछ में क्या हूं ,
बस ये काफी हैं में कौन हूं,
मेरी शख्शियत को जानता नहीं अभी कोई,
भविष्य की ख़बर हैं मुझे और काफ़ी मशहूर हूं मैं।।
-) हमसे दिल लगाने वालें का हाल अच्छा नहीं हैं आशुतोष,
वो चाहें दिन रात बातों का सफ़र हो,
और हमको वक़्त की ज़ंजीरों ने जकड़ कर रखा हैं,
हम चाहें भीं तो वक़्त दे नहीं सकतें ।।
-) किसी को ख़बर सुबह की नहीं,
हम एक दौर की बात करतें हैं,
वे आज के ख़ौफ़ में हैं,
हम भविष्य की नौका तैयार करते हैं।।
-) तूफ़ान का इरादा क्या हैं पता तो चलें ,
उसकी फरमाइश हमें डुबाने की हो तो सफ़र शुरू करें,
उसके डर में तो नहीं रहेंगे हम,
-) मेरी खामोशियों ने सब ख़त्म कर दिया,
मैं जो कुछ बोल जाता तो शायद बहुत कुछ बच जाता,
वो लाल जोड़ें में दुल्हन बनने वालीं थीं,
मेरी ख़ामोशी ने उसे तोहफ़े में कफ़न दिलवा दिया ।।
-) बड़ा बुरा हूं मैं,
मग़र ख़ामोश हूं मैं,
तब तक के लिएं बहुत ख़ूब हूं मैं,
जो मेरी ख़ामोशी टूटी तो तबाही का मंज़र हूं
-) एक वादा करना मुझे मेरे हवाले करना,
कहीं किसी राह में मुझको ख़ुद से जुदा कर लिया था तुमने,
अब फिरसे मुझको मेरे जैसा करना।
-) किसी पहलू में बैठा हीं नहीं मैं,
हर पहलू की जाँच बख़ूबी हुईं,
इन सबसे दूर एक दुनिया थीं कहीं,
उस दुनिया का हुआ मैं ।।
-) कहानियां ख़त्म हो गईं हमारी,
ये सुनाते सुनाते वो मेरा हीं था,
ख़्वाब में मैंने उसे पा लिया था,
ख़्वाब था टूट गया मैं नींद में था जाग गया ।।
-) हम ख़ुद से रुबरु हो जाएं तो जाने कितने संभल जाएं,
वक़्त इतना मिला नहीं हम औरों में बर्बाद हैं।।
-) सुना हैं बारिशों को गुमान हैं सबकुछ बहा ले जाने का ,
साख से टूटी लकड़ी ने सारा नशा उतार फेंका ।।
-) हमसे बड़े अदब से पेश आओ,
हम जाने कितनें दिलों की मुराद हैं,
ज़रा सा हम ग़म में जाएं तो जाने कितने चेहरों पर रंजिशें छा जाती हैं ।।
-) वो बिछड़ने का इरादा कर आएं हैं,
हमारे हर सवालों पर अब वो इतराएं हैं,
वैसे तो वो भीं सबकुछ जानता हैं,
मेरे होने का क्या माजरा हैं,
मग़र अफ़सोस वो बाहरी हवाओं के साएं में हैं।।
-) घरों की दीवारें अब नईं बनने लगीं,
लगता हैं वर्षों पुरानी ईंट गिरने लगीं,
अब जो नईं ईंटे लगने लगीं,
पुरानी कहानियां ख़त्म होनें लगीं ।।
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-) मैं अदब की मार का शिकार होनें लगा,
बस इसी बात से ज़माना मेरे सिर चढ़ने लगा ।।
-) वो दूर सफ़र का मुसाफ़िर होनें लगा,
मेरे क़रीब था एक जमाने से,
अब औरों की हिफ़ाज़त में रहने लगा,
भूल गया क्या था मैं वो सब नातों को छोड़ जाने लगा ।।
-) मत पूछ क्या हुआ कैसे हुआ ,
जो हुआ मेरे हक़ में ना था,
मेरे अरमानों का कत्ल हुआ ।।
-) मुझे ना बताओं की अब करना क्या हैं ,
एक नईं राह ख़ोज आया हूं मैं,
बस उसका सफ़र पूरा करना हैं।।
-) जब प्रेम कहानी का अंत होने लगें ,
इल्ज़ामात जब ख़ुद पर लगनें लगें,
रिश्तों की मर्यादा ख़त्म होनें लगें ,
तो समझ जाइएगा महबूब की बांहे क़यामत का डेरा हैं फ़िर ।।
-) किसी और के हो जाने में हर्ज़ क्या हैं,
खुदकी नजरों से उतर जाने में हर्ज़ क्या हैं,
वफ़ादार रहों उस एक के लिएं,
हज़ारों से दिल लगाने में क्या हैं ।।
-) माली कलियों को चुनने लगा,
फूलों से ध्यान हटाने लगा,
लगता हैं वो जान गया,
अब नस्लें ख़राब होनें लगीं,
ज़माना जो बदलने लगा ।।
-) फूलों की चमक कम होनें लगीं,
शायद आपस में इनमें रंजिशे होने लगीं,
कभीं शान ओ शौकत थीं इनसे,
अब वो भीं ख़त्म होने लगीं,
कुछ तो इनका भी इलाज़ हो,
दो पल सुकून के हो ,
और ये चमकती चांदनी सी हो ।।
-) भुजंगों ने चंदन का साथ छोड़ दिया,
इंसानों ने जो रँग बदलना शुरू कर दिया ।।
-) हम ख़ुद को भूलकर,
नए ढंग में आ जाना चाहते हैं,
अपने पुराने हिसाबों को,
बस यहीं ख़त्म कर जाना चाहतें हैं ।।
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~~आशुतोष दांगी
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